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पंजाब के पूर्व कांग्रेस विधायक डा. मोहिंदर रिणवा शिअद में शामिल, सुखबीर बनाया ने बनाया पार्टी महासचिव

फाजिल्का से कांग्रेस विधायक रहे डा. मोहिंदर रिणवा शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए हैं। शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने रिणवा को पार्टी महासचिव नियुक्त किया है। रिणवा ने कहा कि अब कांग्रेस में आत्मसम्मान बनाए रखना मुश्किल था।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:56 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 03:22 PM (IST)
पंजाब के पूर्व कांग्रेस विधायक डा. मोहिंदर रिणवा शिअद में शामिल, सुखबीर बनाया ने बनाया पार्टी महासचिव
मोहिंदर रिणवा को शिअद में शामिल करते सुखबीर बादल।

जेएनएन, चंडीगढ़। फाजिल्का से कांग्रेस के विधायक रहे डा. मोहिंदर रिणवा ने शिरोमणि अकाली दल का दामन थाम लिया है। रिणवा 2002 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे, जबकि 1992 में वह आजाद जीते थे। रिणवा पूर्व मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। 

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शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने रिणवा को पार्टी में शामिल किया। सुखबीर ने रिणवा को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया है। सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस में फाजिल्का में अब सिर्फ सुनील जाखड़ रह गए हैं। अकाली दल जाने के फैसले का बाद पूर्व कांग्रेसी विधायक ने कांग्रेस और कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ पर तीखे हमले किए। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव ने कहा, कांग्रेस में अब आत्मसमान के साथ नहीं रहा जा सकता है। इससे पहले इसी जिले से पूर्व कांग्रेसी मंत्री रहे हंस राज जोशन ने भी अकाली दल ज्वाइन कर लिया था।

कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच यह बड़ा झटका माना जा रहा है। एक तरफ कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू समेत कुछेक मंत्री और सांसद मुख्यमंत्री के खिलाफ झंडा उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के ही कई मंत्रियों ने नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी से बाहर करने की मांग को लेकर झंडा बुलंद करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के घमासान के बीच हंस राज जोशन के बाद अब डा. रिणवा ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।

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डा. रिणवा ने सुनील जाखड़ पर हमला करते हुए कहा कि चार सालों में प्रदेश प्रधान की वजह से अबोहर व फाजिल्का में कांग्रेस का बेड़ा गर्क हो गया है। प्रदेश प्रधान की कमान संभालने के बाद जाखड़ ने कभी भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कोई बैठक तक नहीं की। पूर्व विधायक ने कहा, कांग्रेस में अब आत्मसम्मान के साथ रहना मुश्किल हो गया है। अब हम किसी के दरवाजे पर जाकर खड़े नहीं हो सकते है। यह हमारे आत्मसम्मान के खिलाफ हो जाता है। अतः ऐसी स्थिति में पार्टी से किनारा कर ली लेना चाहिए।

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बता दें कि 2017 में डा. रिणवा फाजिल्का से टिकट की मांग कर रहे थे। डा. रिणवा 1992 में 6308 और 2002 में 13855 वोटों से भाजपा के नेताओं को हराया था। वहीं, अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने फाजिल्का जिले में कांग्रेस को लगातार दो बार झटका दिया है। चूंकि सुखबीर बादल इसी जिले से चुनाव लड़ते हैं। सांसद बनने के बाद जलालाबाद सीट पर हुए उप चुनाव में अकाली दल को करारी हार का सामना करना पड़ा था। अतः अब सुखबीर बादल ने इस जिले में जोर लगाना शुरू कर दिया है।

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