पंजाब के सिंचाई घोटाले के मामले में पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल व पूर्व मंत्री ढिल्लों से होगी पूछताछ
Punjab Irrigation Scam पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान हुए 1200 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले के मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल व पूर्व मंत्री शरणजीत सिंह ढिल्लों को पूछताछ के लिए बुलाया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में हुए 1200 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले के मामले में पूर्व मुख्य सचिव (सीएस) सर्वेश कौशल व पूर्व कैबिनेट मंत्री शरणजीत ढिल्लों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। दोनों को आज मंगलवार को पेश होने को कहा गया है।
यह पहली बार है कि इस घोटाले में विजिलेंस ब्यूरो ने इतने बड़े अधिकारी को तलब किया है। हालांकि इस मामले में पूर्व सिंचाई सचिव केबीएस सिद्धू और काहन सिंह पन्नू का नाम भी आया था, लेकिन हाई कोर्ट ने केबीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर कुछ दिन पहले ही रोक लगा दी थी।
इस घोटाले से 2017 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद पर्दा उठा था। इस मामले में ठेकेदार गुरिंदर सिंह सहित तीन इंजीनियरों को गिरफ्तार िकया गया था पर बड़े अधिकारियों पर न तो कोई आंच आई न ही उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया। जिन तीन वरिष्ठ अधिकारियों का नाम घोटाले में सामने आया था, उनमें केबीएस सिद्धू वरिष्ठतम अधिकारियों में शुमार थे और सर्वेश कौशल की जगह वह अपने आप को मुख्य सचिव के तौर पर देख रहे थे। उनके लिए प्रियंका गांधी तक ने लाबिंग की थी, परंतु सरकार की छवि पर असर पड़ने की चिंता के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें यह पद नहीं दिया था।
वहीं, कांग्रेस सरकार के दौरान इस घोटाले की जांच ठप पड़ी रही। 2022 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर फिर विजिलेंस ने इसकी जांच तेज कर दी। विजिलेंस ने काहन सिंह पन्नू से जांच के दौरान सिंचाई विभाग के विकास कार्यों की टेंडरिंग प्रक्रिया के बारे में सवाल किए थे। उन्हें विजिलेंस ने प्रोफार्मा दिया था, जिसमें लिखित रूप में सवालों के जवाब लिए गए थे।
सूत्रों का कहना है कि पूर्व सिंचाई मंत्री शरणजीत ढिल्लों व सीएस सर्वेश कौशल से पूछताछ के लिए भी सवालों की सूची तैयार हो गई है। ठेकेदार गुिरंदर सिंह के बयान को आधार बनाकर विजिलेंस ने इस केस पर दोबारा काम किया है। इस मामले में विजिलेंस ने मुख्यमंत्री को जो फाइल भेजी वह दिलचस्प रही।
नियमों के अनुसार यदि किसी ब्यूरोक्रेट को जांच में शामिल करना हो तो उससे पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी पड़ती है। पूछताछ में यदि विजिलेंस को लगे कि अधिकारी घोटाले में शामिल है तो उसके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री से फिर अनुमति लेनी पड़ती है, परंतु विजिलेंस ने ऐसा नहीं किया और केबीएस सिद्धू को जांच में शामिल करना चाहा। इस पर सिद्धू हाई कोर्ट चले गए। वहां विजिलेंस ने गलती मान ली।फिर हाई कोर्ट ने सिद्धू की गिरफ्तारी और अगले आदेशों तक उनके खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाकर सुनवाई अगले वर्ष आठ फरवरी तक स्थगित कर दी।
सिंचाई विभाग में ठेकेदार की पसंद के अधिकारी होते थे
तैनात विजिलेंस के अनुसार ठेकेदार गुरिंदर को 2007 से लेकर 2016 तक 1200 करोड़ से ज्यादा के काम अलाट हुए थे। तब गुरिंदर की सिंचाई विभाग में इतनी तूती बोलती थी कि नीचे से ऊपर तक अधिकारी भी उसकी पसंद के ही लगते थे। गुरिंदर की जो कंपनी 2006 में 4.75 करोड़ रुपये की थी, वह 10 वर्ष में 300 करोड़ की हो गई। 2017 में कांग्रेस सरकार आने के बाद घोटाला सामने आया और पूछताछ के दौरान गुरिंदर का एक बयान लीक हो गया, जिसमें उसने दो पूर्व मंत्रियों, तीन पूर्व आइएएस अधिकारियों सर्वेश कौशल, केबीएस सिद्धू, काहन सिंह पन्नू व कुछ इंजीनियरों के नाम लिए थे।