चंडीगढ़ के पूर्व मेयर सुभाष चावला ने अपनी ही पार्टी पर खड़े किए सवाल, बोले- भाजपा को घेरने में कांग्रेस चुप क्यों
सुभाष चावला ने कहा कि इस समय चंडीगढ़ में ऐसे कई मुद्दे हैं जिनकों लेकर भाजपा को आसानी से घेरा जा सकता है। इस समय स्मार्ट घड़ियों का मामला कमिश्नर के निजी सचिव के साथ भाजपा नेता की हाथापाई और बिजली विभाग का निजीकरण आदि मुद्दे मुख्य हैं।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। आल इंडिया कांग्रेस के सदस्य एवं पूर्व मेयर सुभाष चावला ने चंडीगढ़ कांग्रेस की कारगुजारी पर कई सवाल उठाए हैं। चावला का कहना है कि इस समय चंडीगढ़ में कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भाजपा को घेरा जा सकता है, लेकिन पता नहीं क्यों कांग्रेस चुप है। अगर इसी तरह से चुप रहेंगे तो अगामी नगर निगम चुनाव किस तरह जीतेंगे।
सुभाष चावला ने कहा कि इस समय स्मार्ट घड़ियों का मामला, कमिश्नर के निजी सचिव के साथ भाजपा नेता की हाथापाई, जेम से अस्थायी कर्मचारियों को ठेके पर रखना, बिजली विभाग का निजीकरण इन सभी मुद्दों को मजबूती से उठाने में चंडीगढ़ कांग्रेस पूरी तरह से असफल हो रही है। जबकि यह मुद्दे जनता से जुड़े हुए हैं। चावला ने इन सारे मामलों को चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को भी लिखित में मामले से अवगत करवाया है। सीनियर नेता सुभाष चावला ने दैनिक जारगण से विशेष बातचीत में कहा कि इस समय संगठन कमजोर होने का भी यह कारण है कि कार्यकर्ता काम करना चाहते हैं, लेकिन पार्टी उनका सही से प्रयोग नहीं कर पा रही है। चावला का कहना है कि ऐसा नहीं कि कांग्रेस में मजबूत कार्यकर्ता नहीं है लेकिन पार्टी उन कार्यकर्ताओं को जोड़कर उनका सदुपयोग नहीं कर पा रही है।
सीनियर नेताओं में चल रही खींचातान
नए प्रभारी हरीश रावत भी चंडीगढ़ कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। उनके मार्ग दर्शन का असर हालांकि पार्टी में दिखने लग गया है। लेकिन शहर के मुद्दों को उठाते हुए भाजपा की विफलताओं को उजागर करने का काम स्थानीय स्तर पर नेताओं का हैं। चावला ने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि स्थानीय स्तर पर पार्टी के सीनियर नेताओं में खींचातानी चल रही है। सांसद किरण खेर कोरोना काल में पूरी तरह से गायब रहीं। सांसद के खिलाफ शहरवासियों में रोष है।
आलोचना न मानकर बुलाई जानी चाहिए कार्यकारिणी
चावला का कहना है कि बिजली विभाग का निजीकरण क्यों किया जा रहा है। इसमें हर साल का मुनाफा है। प्रशासन को चाहिए कि पानी का निजीकरण कर दिया जाए, जिसमें हर साल करोड़ों रुपये का घाटा है। बिजली के निजीकरण के विरोध में फासवेक जैसा संगठन कर्मचारियों के पक्ष में खुलकर आ गया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने पूरे मामले में चुप्पी साधी हुई है। इस पर पार्टी को विचार करना चाहिए। चावला ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष छाबड़ा की आलोचना नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसको आलोचना न मानकर पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जानी चाहिए और पूर्व रेल पवन बंसल को मार्ग दर्शन करने की अपील की जानी चाहिए। मालूम हो कि इस समय राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के नेता बिहार चुनाव के बाद संगठन की कारगुजारी पर सवाल उठा रहे हैं।