बेहतर रिजल्ट के लिए टीचर को कर्मचारी नहीं, बौद्धिक इंसान बनाया जाए: प्रो. कृष्ण कुमार
वर्ष 2021 में होने वाले पीसा एग्जाम के बारे में उन्होंने कहा कि 2009 में पीसा एग्जाम में भारत पिछड़ा था और हम उस समय कजाकिस्तान से भी नीचे वाले स्थान पर आए थे।
जेएनएन, चंडीगढ़: बेहतर रिजल्ट के लिए जरूरी है कि टीचर को एक कर्मचारी नहीं, बल्कि बौद्धिक इंसान बनाया जाए। जब टीचर के अंदर बौद्धिकता का आत्मविश्वास होगा तभी वह बच्चों को सही ढंग से पढ़ा सकता है। यह बात एनसीईआरटी के पूर्व डायरेक्टर प्रो. कृष्ण कुमार ने कही। वह वीरवार को पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में आरटीआइ और शिक्षा व्यवस्था पर विचार रख रहे थे। उन्होंने वर्ष 2021 में होने वाले पीसा एग्जाम के बारे में कहा कि वर्ष 2009 में पीसा एग्जाम में भारत पिछड़ा था और हम उस समय कजाकिस्तान से भी नीचे वाले स्थान पर आए थे। मैं उस समय एनसीईआरटी का डायरेक्टर था, लेकिन दुख की बात है कि उस समय भी टीचर्स के बजाय स्टूडेंट पर ज्यादा ध्यान दिया गया। एनसीईआरटी के पूर्व डायरेक्टर ने चंडीगढ़ प्रशासन से भी अपील की है कि किसी भी प्रकार के टेस्ट के लिए पहले टीचर को मोटिवेट करें।
पीसा इंटरनेशनल एग्जाम में चंडीगढ़ के बच्चे करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
पीसा इंटरनेशनल एग्जाम है जिसमें भारत का प्रतिनिधित्व चंडीगढ़ के बच्चे करेंगे। यह पहली बार है जब चंडीगढ़ को पीसा आगरा में भाग लेने का मौका मिला है। इस मौके पर प्रो. कृष्ण कुमार ने उन अभिभावकों को भी नसीहत जी जो कि बच्चों पर समय से पहले ही बहुत ज्यादा प्रेशर डालते हैं। उन्होंने कहा कि 9वीं क्लास से ही बच्चों को आइआइटी और सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर में भेज दिया जाता है जोकि बच्चे की बौद्धिक क्षमता के साथ नाइंसाफी है। इसके साथ-साथ हम बच्चे को एक मशीन की तरह तैयार कर रहे हैं। इससे बच्चों का विकास नहीं होता उलटा बच्चे पर प्रेशर बढ़ जाता है जिसके कारण वह गलत कदम भी उठा लेते हैं।