सिटी ब्यूटीफुल में पटाखों ने छीन ली आठ लोगों की आंखों की रोशनी, 80 गंभीर
राम मालवा, चंडीगढ़ : दीवाली की रात इस बार भी शहर के अलग-अलग हिस्सों से पटाखों की चिंगार
राम मालवा, चंडीगढ़ : दीवाली की रात इस बार भी शहर के अलग-अलग हिस्सों से पटाखों की चिंगारी से बुरी तरह हुए घायल लोग अस्पतालों की इमरजेंसी में पहुंचे। 8 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। डॉक्टरों की मानें तो ये 8 मरीज अब शायद ही इस दुनिया को देख सकेंगे। 8 मरीजों की कंडीशन क्रिटिकल बताई जा रही है। 80 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे।
ज्यादातर केस 5 से 16 साल के बीच दीवाली की रात पटाखों से झुलसे दो साल के बच्चे का क्रिटिकल केस सामने आया। लेकिन सही समय पर घायल बच्चे को पीजीआइ में इलाज के लिए भर्ती कराया। इस दो साल के बच्चे की आंखों में पटाखे की चिंगारी चली गई थी। लेकिन डॉक्टरों के समय पर इलाज मिलने पर बच्चे की दोनों आंखें बचा ली गई। अस्पतालों से जो आंकड़े मिले हैं, उसके मुताबिक घायलों के सबसे ज्यादा केस 5 से 16 साल के बीच के हैं। जिनमें ज्यादातर लड़के हैं।
पीजीआइ के डॉ. एमआर डोगरा के अनुसार अब तक 31 मामले पीजीआइ में आ चुके हैं। करीब 17 मामले ट्राईसिटी के हैं। अन्य मामले हरियाणा, पंजाब और हिमाचल आदि से भी हैं। सेक्टर-16 अस्पताल में 49 मामले पीजीआइ में एक ऐसा केस सामने आया, जिसमें एक 35 साल के व्यस्क की बाई आंख खराब हो गई। जीएमसीएच-16 में पटाखे जलाते समय घायल हुए करीब 49 मामले सामने आ गए। जिनमें आंख की इंजरी को लेकर 20 मामले सामने आए। जबकि जीएमसीएच-32 में पटाखे जलाते समय घायल हुए करीब 9 मामले सामने आए। जिनमें आंखों की इंजरी के 3 मामले थे।
डॉक्टर एमआर डोगरा के अनुसार दीवाली की रात को करीब 12 ऑपरेशन कर दिए हैं, उनमें से कई ऐसे लोग भी हैं, जो हमेशा के लिए अपनी एक आंख खो चुके हैं। हमारे पास डॉक्टरों की दो टीमें हैं, जो लगातार पेशेंट को ऑपरेट कर रही हैं। यूपी के जौनपुर जिले से गुडिया नाम की बच्ची के माता-पिता का कहना है कि उनकी बच्ची की उम्र महज 5 साल हैं। किसी ने छत से पटाखे को उनके घर फेंक दिया। पटाखा बच्ची की आंख के पास फटा। जिससे बाई आंख खराब हो गई। वहीं, विकास नगर निवासी राधा ने बताया कि उनके पड़ोसी पटाखे जलाए जा रहे थे। तभी उनके भाई वहां देखने के लिए चले गए। अचानक पटाखे की चिंगारी आकर उनके भाई की आंख में लगी। अभी उनकी कंडीशन क्रिटिकल है।
पटाखे चलाने की जल्दबाजी बनी बड़ी वजह
पटाखे जलाने के लिए दो घंटे का समय मिला था, इस जल्दबाजी में कई हादसे सामने आए। दीवाली में पटाखों से घायल व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस साल ट्राईसिटी के अलावा अन्य राज्यों से भी कई ऐसे घायल व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी आंख की रोशनी को खो दिया है। पटाखों से खतरा बना रहता हैं। पटाखे के कारण काला मोतिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। -एमआर डोगरा, प्रोफेसर एंड हेड एडवांस आइ सेंटर पीजीआइ