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मजदूरों के पलायन पर विराम तो लगा, पर अभी सता रहा Lockdown बढ़ने का डर

पंजाब में मजदूरों का पलायन थम तो गया है लेकिन वह अस्थायी आवासों में नहीं जाना चाहते। उन्हेंं यह भी डर है कि कहीं लॉकडाउन की अवधि बढ़ न जाए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:47 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 12:13 PM (IST)
मजदूरों के पलायन पर विराम तो लगा, पर अभी सता रहा Lockdown बढ़ने का डर
मजदूरों के पलायन पर विराम तो लगा, पर अभी सता रहा Lockdown बढ़ने का डर

चंडीगढ़ [कमल जोशी]। India Lockdown: बड़ी संख्या में मजदूरों के पलायन के बाद पंजाब में बचे मजदूरों को अब देशव्यापी Lockdown के 14 अप्रैल से आगे बढ़ने की चिंता सता रही है। मजदूरों को भोजन और राशन की आपूर्ति बढ़ाए जाने के कारण पंजाब से मजदूरों के पलायन पर कुछ विराम तो लगा है, लेकिन राज्य में रह रहे मजदूर अब नए कामों में जुटने के प्रति आशंकित हैं।

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पंजाब में उद्योगों के बंद होने के कारण पिछले कई दिन से खाली बैठे मजदूर खेतों में काम करने को तैयार नहीं हैं। इंडस्ट्री विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभाग ने बड़ी संख्या में मजदूरों को खेतों में कटाई धुलाई और सफाई जैसे कामों में अपनी आजीविका तलाशने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन इन मजदूरों का कहना है कि या तो उन्हें उनके गांव वापस भेजा जाए या फिर उन्हें महामारी की आशंका समाप्त होने तक उनके वर्तमान आश्रय में ही सरकारी सहायता पहुंचाई जाए।

सूत्रों के मुताबिक विभिन्न जिलों में छोटी बस्तियों या शहरों के साथ बसे ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे अधिकतर मजदूर सरकार द्वारा अस्थाई तौर पर बनाए जा रहे आश्रयों में जाने को भी तैयार नहीं हैंं। Coronavirus के प्रकोप से घबराए यह मजदूर या तो सिर्फ अपने घरों को वापस लौटना चाहते हैं या फिर अपने वर्तमान नििवासों में ही रहना चाहते हैं।

बता दें, 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन के बाद पंजाब से भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड आदि राज्यों की ओर हो रहा था, लेकिन इन राज्यों में भी दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों का प्रवेश रोके जाने से मजदूरों के पलायन में तेजी से कमी आई है।

फैक्टरियों में मजदूरों को ठहराने की जरूरत नहीं

पंजाब के कुछ जिलों में जरूरी सामान का उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों को खोले जाने की मंजूरी दिए जाने के बाद उद्योग विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे सामान का उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों को ठहराने की कोई व्यवस्था नहीं है। गौरतलब है कि हाल ही में कुछ जिलों में औद्योगिक इकाइयों को खोले जाने की मंजूरी देने के आदेशों में कहा गया था कि वही औद्योगिक इकाइयां अपना काम शुरू कर सकती हैं जिनमें मजदूरों को ईकाई के अंदर ही ठहराने की व्यवस्था उपलब्ध हो।

गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव सतीश चंद्रा द्वारा जारी किए गए आदेशों में कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों को जिला प्रशासन अपनी जरूरतों के हिसाब से चला सकते हैं, लेकिन इनमें मजदूरों को ठहराने की व्यवस्था करने की शर्त नहीं होनी चाहिए। आदेशों में यह भी कहा गया हैै कि जिला प्रशासन जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए अपने हिसाब से व्यवस्था चला सकते हैं, पर वे राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों के विरोधाभासी आदेश जारी न करें।

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