पापा ने दी ईमानदारी की सीख, आज दूसरों को बना रहीं काबिल
मेरे पापा पंजाब यूनिवर्सिटी में टीचिंग स्टाफ में कार्यरत थे।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : मेरे पापा पंजाब यूनिवर्सिटी में टीचिंग स्टाफ में कार्यरत थे। जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया तो उन्होंने मुझे एक बात बार-बार सिखाई की बेटी ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं होता। उसी सीख को साथ लेकर चली और अपने काम के लिए मुझे डीसी ने सम्मानित किया। यह अनुभव पंजाब यूनिवर्सिटी एनएसएस कोऑर्डिनेटर प्रो. नवदीप शर्मा ने दैनिक जागरण संवाददाता से साझे किए। प्रो. नवदीप ने बताया कि मैं पंजाब के सरकारी स्कूल से पासआउट थी। जब यूनिवर्सिटी में आकर एडमिशन लिया तो मेरे अंदर डर था कि मैं कैसे शहर वाले स्टूडेंट्स की बराबरी कर सकूंगी। उस समय मेरे पापा ने मुझे सिखाया कि ऐसा कभी मत सोचना कि तुम कुछ नहीं कर सकती। ईमानदारी से पढ़ाई करोगी तो हमेशा आगे बढ़ोगी और तुम्हारी इज्जत भी होगी। तुम्हें कभी झुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पापा की बात की समझ मुझे एमए करने के दौरान आ गई। मैंने एमए इंग्लिश फर्स्ट क्लास से पास की। उसके बाद मैंने ईमानदारी को खुद की आदत बना लिया। नौकरी के दौरान वालंटियर्स को सिखाई ईमानदारी की सीख
प्रो. नवदीप ने बताया कि मैंने टीचिग को छोड़कर एनएसएस को ज्वाइन किया क्योंकि एनएसएस ऐसी जगह है जहां पर आप सोसायटी के लिए बहुत कुछ कर सकते हो। मैंने शुरुआत एनएसएस कोऑर्डिनेटर के तौर पर की। उस समय में लुधियाना के पास किसी कॉलेज में नौकरी कर रही थी। वहां के स्टूडेंट्स को भी मैंने ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। एक बार अचानक वहां पर रेलवे दुर्घटना हो गई। उसमें कई लोग घायल हुए और मौतें भी हुई। दुर्घटना के बाद सबसे पहले एनएसएस वालंटियर्स सेवा देने के लिए पहुंचे और तीन दिन तक वहां पर रहे। जितने भी लोग घायल हुए या फिर मरे, उनका कोई पैसा और गहना गायब नहीं हुआ। वालंटियर्स ने सभी के सामान को संभालकर रखा और जब वह वहां से गए या फिर किसी की डेडबॉडी को वहां से ले जाया गया तो उन्हें सारा सामान वापस किया गया। इस बात की जानकारी जब स्थानीय डीसी को लगी तो उन्होंने मुझे बुलाया और ईमानदारी का पाठ पढ़ाने के लिए इनाम देकर सम्मानित किया गया। ईमानदारी सच में बहुत बड़ी चीज है यदि हम अपने काम को ईमानदारी से करते हैं तो उसका फल आपको अनिवार्य तौर पर मिलता है।