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विधानसभा कमेटी ने कहा- फिजूलखर्ची के कारण भी आत्महत्या कर रहे किसान

विधानसभा की कमेटी ने किसानों की आत्‍महत्‍या पर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें किसानों की खुदकुशी के लिए उनकी फिजुलखर्ची को भी जिम्‍मेदार ठहराया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 29 Mar 2018 09:43 AM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 09:10 PM (IST)
विधानसभा कमेटी ने कहा- फिजूलखर्ची के कारण भी आत्महत्या कर रहे किसान
विधानसभा कमेटी ने कहा- फिजूलखर्ची के कारण भी आत्महत्या कर रहे किसान

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा की कमेटी ने किसानों के भारी कर्ज में दबने आैर फिर उनके आत्‍महत्‍या करने के लिए फिजुलखर्जी को भी जिम्‍मेदार माना है। किसानों की आत्महत्याओं के कारणों की जांच करने वाली विधानसभा कमेटी ने शादियों पर होने वाले ज्यादा खर्चों, बैंकों द्वारा सीमा से ज्यादा कर्ज देने और जमीनें छोटी होने के बावजूद मशीनरी पर किए जा रहे खर्च को आत्महत्या का कारण माना है। कमेटी ने 99 पेजों की अपनी रिपोर्ट में किसानों के कर्ज के भार को कम करने के लिए 69 सिफारिशें की हैं।

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विधानसभा कमेटी ने शादियों पर ज्यादा खर्च, बैंक से सीमा से ज्यादा लोन देने को माना जिम्मेदार

इस रिपोर्ट पर अकाली दल के विधायक हरिंदरपाल सिंह ने असंतुष्टि जाहिर की। असहमति नोट दिया और अपनी बात न रखने देने के लिए अकाली विधायकों समेत वेल में जाकर नारेबाजी भी की। कमेटी के चेयरमैन सुखविंदर सिंह सरकारिया ने रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी जिसमें कमेटी ने सिफारिश की है कि विवाह-शादियों पर बेहताशा खर्च हो रहा है।

चेयरमैन सरकारिया ने सदन में रखी रिपोर्ट, शिअद ने जताई असहमति, की नारेबाजी

मैरिज पैलेसों में शादियां करने से किसान आर्थिक रूप से उजड़ गए हैं। कमेटी ने माना कि कई लोगों ने अपनी बेटियों की शादी के लिए कर्ज लिया और वे उसे उतार नहीं पाए। अंतत: खुदकशी कर ली। कमेटी ने सिफारिश की है कि शादियों पर इस खर्च को रोकने के लिए सरकार गेस्ट कंट्रोल पॉलिसी तैयार करे और परोसे जाने वाली डिश को भी नियंत्रित किया जाए।

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क्षमता देखे बिना टारगेट पूरा करने को बैंक दे रहे कर्ज

कमेटी ने यह भी माना कि बैंक अपने टारगेट को पूरा करने के लिए किसानों की क्षमता देखे बिना ही कर्जे दे रहे हैं। चूंकि बैंकों ने 19 फीसद पैसा किसान कर्ज के रूप में देना है, इसलिए किसानों को कर्ज मुहैया करवा रहे हैँ। कमेटी ने सिफारिश की कि सरकार द्वारा प्रति एकड़ तय की गई सीमा के बाहर अगर कोई बैंक लोन दे रहा है तो बैंक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। कमेटी ने यह भी सिफारिश की कि जमीन पर बैंकों द्वारा बनाई गई लिमिट का इस्तेमाल कार लेने, घर बनाने और बच्चों को विदेश भेजने जैसे कामों पर भी हुआ है।

आढ़तियों के कर्ज को रेगुलाइज करे सरकार

कमेटी ने यह भी सिफारिश की है कि आढ़तियों द्वारा दिए जा रहे कर्ज को रेगुलाइज करने के लिए कानूनी व्यवस्था के अधीन लाय जाए ताकि वे किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर अधिक ब्याज न वसूल सकें। यदि किसान की आत्महत्या के मामले में आढ़ती पर केस दर्ज करने की नौबत आती है तो केस दर्ज करने से पहले आत्महत्या के कारण की जांच एसपी रैंक के अधिकारी से करवाई जाए।

पंजाब सिक्योरिटी ऑफ लैंड टेन्योर एक्ट में हो बदलाव

कमेटी ने किसान संगठनों से बातचीत में पाया कि इस समय जमीन का ठेका 40 हजार रुपये है, जबकि फसल की कीमत तय करते समय इसे पंजाब सिक्योरिटी आफ लैैंड टेन्योर्ज एक्ट 1953 के कारण उसे केवल 15 हजार ही माना जा रहा है। कमेटी ने एक्ट में बदलाव करने की सिफारिश की है।

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अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें -

-केंद्र सरकार किसानों को कर्ज माफी केंद्रीय पूल में दिए गए योगदान के अनुसार दे।

-कर्ज निपटारा और समाधान कमीशन बनाया जाए ताकि कर्ज लेने और देने वाले किसी वन टाइम सेटलमेंट पर पहुंच सकें।

-फसलों का समर्थन मूल्य सूचकांक के साथ जोडऩे की सिफारिश।

-सीमांत और छोटे किसानों के फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप बनाकर इन्हें संयुक्त मशीनरी उपलब्ध करवाने के साथ ही उन पर सब्सिडी दी जाए।

-फसलों की वाजिब कीमतें मिलें, इसके लिए जोनिंग सिस्टम अपनाया जाए।

-छोटे किसानों को साझा ट्यूबवेल लगाने को बढ़ावा दिया जाए।


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