Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जितने में खरीद लेंगे दो थार, उससे ज्याादा में बिका फैंसी नंबर 0001; कीमत जानकर उड़े सबके होश

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:32 AM (IST)

    चंडीगढ़ में फैंसी नंबरों की मांग ने नया रिकॉर्ड बनाया है। ई-नीलामी में 0001 नंबर 36.42 लाख रुपये में बिका जो दो थार गाड़ियों की कीमत के बराबर है। प्रशासन ने विभिन्न नंबरों की बोली से 4.08 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया। कुल 577 पंजीकरण नंबरों की बिक्री हुई जिनमें सात नंबरों की कीमत 1.28 करोड़ रुपये से अधिक रही।

    Hero Image
    जितने में खरीद लेंगे दो थार, उससे ज्याादा में बिका 0001 नंबर। सांकेतिक फोटो

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में फैंसी नंबरों की बढ़ती मांग ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। हाल ही में आयोजित ई-नीलामी में 0001 नंबर 36 लाख 42 हजार रुपये में बिका। खास बात यह है कि इस कीमत में दो थार गाडियां खरीदी जा सकती थीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रशासन ने विभिन्न नंबरों की बोली के दौरान 4.08 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया है। इस नीलामी में कुल 577 पंजीकरण नंबरों की बिक्री हुई, जिनमें से सात नंबरों की कीमत एक करोड़ 28 लाख रुपये से अधिक रही।

    19 से 22 अगस्त के बीच आयोजित इस नीलामी में सबसे महंगा नंबर 0001 बिका, जिसकी बोली 36 लाख 42 हजार रुपये तक पहुंच गई। यह अब तक का सबसे महंगा नंबर है। इसके बाद 0003 नंबर 17 लाख 84 हजार रुपये में नीलाम हुआ, जबकि 0002 नंबर की कीमत 13 लाख 80 हजार रुपये रही।

    इससे पहले, मई में हुई नीलामी में 0001 नंबर 31 लाख रुपये में बिका था। 36 लाख रुपये की राशि से दो थार या एक फार्च्यूनर खरीदी जा सकती है। यदि इसे बैंक में एफडी करवा दिया जाए, तो हर माह 25 हजार रुपये का ब्याज भी मिल सकता है। खरड़ या डेराबस्सी में इस राशि से एक वन बीएचके भी खरीदा जा सकता है।

    आगामी फेस्टिवल सीजन के मद्देनजर, वाहनों का पंजीकरण बढ़ने की संभावना है। इस बार भी शहरवासियों ने फैंसी नंबरों के लिए दिल खोलकर बोली लगाई है। यह पहली बार नहीं है जब चंडीगढ़ के निवासियों ने फैंसी नंबरों के लिए लाखों रुपये खर्च किए हैं।

    इस नीलामी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चंडीगढ़ के लोग अपने वाहनों के लिए फैंसी नंबरों को लेकर कितने गंभीर हैं। यह प्रशासन के लिए भी एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत बन गया है।