पुलिस आयुक्त ने हाई कोर्ट में बताया, मुक्खा फर्जी मुठभेड़ मामले में सात कर्मी सस्पेड
पुलिस आयुक्त ने हाई कोर्ट में बताया कि मुक्खा फर्जी मुठभेड़ मामले में सात पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले की जांच चल रही है।
जेएनएन, चंडीगढ़। जून 2015 में गैंगस्टर के बहाने फर्जी मुठभेड़ में शिरोमणि अकाली दल नेता मुखजीत सिंह मुक्खा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद अमृतसर के पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि इस मामले में दोषी 7 पुलिस कर्मी को निलबिंत कर दिया है और डीएसपी स्तर का अधिकारी इस मामले की जांच कर रहा है।
सरकार ने मृतक की पत्नी को पांच लाख का मुआवजा पहले ही दे दिया है और मुआवजा बढ़ाने पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय ले लिया जाएगा। पंजाब सरकार ने इस मामले में जवाब देने के लिए कोर्ट से समय देने की मांग की तो हाईकोर्ट ने सरकार को समय देते हुए मामले की सुनवाई 8 दिसंबर तक स्थगित कर दी।
मंगलवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस आरके जैन ने पूछा कि दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ अब तक क्या कार्यवाही की गई है। इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि इन कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है। जस्टिस जैन ने कहा कि यह कोई आम फर्जी मुठभेड़ का मामला नहीं हैं। इस मुठभेड़ में मुक्खा पर एके-47 से पुलिस कर्मियों ने ही 26 गोलियां चलाई हैं। ऐसे में इसके दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी बेहद ही जरुरी है।
ये था मामला
मुक्खा फर्जी मुठभेड़ मामले कि जांच के लिए गठित की गई एसआइटी इस मुठभेड़ में आठ पुलिस कर्मियों को दोषी करार दे उनके खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश की गई थी। उस सिफारिश के बावजूद कोई भी कार्यवाही नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए अमृतसर पुलिस कमिश्नर को तलब कर लिया था।
मुक्खा की विधवा हरजीत कौर के वकील महिंदर कुमार ने हाईकोर्ट को बताया था कि गत वर्ष एसआइटी ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंप बताया था कि इस मामले में एक एसआइ, एएसआइ 4 हेड कांस्टेबल और 2 कांस्टेबल को दोषी पाया गया है इनके खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश कर दी गई है। इसके बावजूद कोर्यवाही नहीं की गई। रिपोर्ट पर एडवोकेट मोहिंदर कुमार ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में धारा 304 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है। जबकि इस रिपोर्ट से ही साबित हो जाता है कि यह मामला धारा-302 का है।
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