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चंडीगढ़ कांग्रेस में बढ़ी गुटबाजी, 20 साल से पवन बंसल के करीबी रहे प्रदीप छाबड़ा ने उन्हीं के खिलाफ खोला मोर्चा

चंडीगढ़ कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के बाद पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा विरोध में आ गए हैं। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और अध्यक्ष सुभाष चावला पर कई आरोप लगा रहे हैं। गुटबाजी बढ़ने से पार्टी के अन्य नेताओं की निगम चुनाव को लेकर टेंशन बढ़ गई है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 10:21 AM (IST)
चंडीगढ़ कांग्रेस में बढ़ी गुटबाजी, 20 साल से पवन बंसल के करीबी रहे प्रदीप छाबड़ा ने उन्हीं के खिलाफ खोला मोर्चा
चंडीगढ़ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ की राजनीति में इन दिनों काफी उठापठक लगी हुई है। पार्टियों में आपसी गुटबाजी हावी है। गुटबाजी की बीमारी जो पहले भाजपा को थी वह अब कांग्रेस को भी लग गई है। कांग्रेस हमेशा ही भाजपा की गुटबाजी का फायदा उठाती थी। अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा और पवन बंसल और वर्तमान अध्यक्ष सुभाष चावला के गुटबाजी बढ़ रही है। इससे पहले पार्टी में ऐसी कोई भी गुटबाजी नहीं थी। अगर नेताओं में तालमेल की कमी होती थी तो वह खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयान नहीं देते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। दरअसल कांग्रेस पार्टी में यह गुटबाजी प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के बाद बढ़ी है।

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पार्टी ने पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के करीबी संदीप भारद्वाज को भी बाहर करने का मन बना रही है। इससे पहले संदीप भारद्वाज ने कांग्रेस की प्राइमरी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में पार्टी की यह गुटबाजी कहीं नगर निगम चुनाव में भारी न पड़ जाए यह चिंता भी नेताओं को सता रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा 20 साल से पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के करीबी रहे हैं, लेकिन इस समय छाबड़ा खुलकर बंसल के विरोध में हैं और कई आरोप लगा रहे हैं। हालांकि बंसल ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है।

वहीं, पार्टी अध्यक्ष सुभाष चावला गुट के कई नेता प्रदीप छाबड़ा पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अब भाजपा के नेता कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाना चाहते हैं। भाजपा में इस समय संजय टंडन और पूर्व सांसद सत्यपाल जैन के बीच गुटबाजी है। लेकिन उनकी गुटबाजी कुछ कम हुई है। चंडीगढ़ कांग्रेस में हमेशा से पवन बंसल का बर्चस्व रहा है। जिस भी नेता ने पवन बंसल के खिलाफ आवाज उठाई है, वह आगे नहीं बढ़ पाया है। पार्टी हमेशा ही बंसल के साथ खड़ी रही है और आरोप लगाने वाले नेता की पार्टी ने हमेशा अनदेखी की है।

इससे पहले चंद्रमुखी शर्मा लगाते थे आरोप

इससे पहले पूर्व पार्षद चंद्रमुखी शर्मा पवन बंसल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। अब चंद्रमुखी शर्मा आम आदमी पार्टी में नगर निगम के चुनाव प्रभारी हैं। शर्मा ने पवन बंसल के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन उसका उन्हें कोई फायदा नहीं मिला। पांच साल पहले तत्कालीन अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने ही पवन बंसल की सहमति से चंद्रमुखी शर्मा को पार्टी से छह साल के लिए बाहर निकाल दिया था। जबकि चंद्रमुखी शर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के करीबी रहे हैं। शर्मा दस साल तक पार्षद रहे। पवन बंसल ने भी चंद्रमुखी शर्मा को इस दौरान मेयर नहीं बनने दिया। हालांकि अब पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का कहना है कि वह लड़ाई लड़ते रहेंगे। 

पार्टी ने छाबड़ा को चेताया

प्रदीप छाबड़ा द्वारा एक के बाद एक आरोप लगाने के मामले में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें जवाब भेजा गया है। जिसमें कांग्रेस महासचिव विनोद शर्मा ने कहा कि इतने बड़े कद के व्यक्ति को इस तरह की पोस्ट और टिप्पणियां करना ठीक नहीं है। यह पार्टी विरोधी गतिविधियों की श्रेणी में आता हैं। पार्टी की ओर से छाबड़ा को कहा गया है कि पार्टी की बैठकों के दौरान आंतरिक मामलों और विचारों के मतभेदों को उजागर नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कहा गया है कि जो छाबड़ा द्वारा बयान दिए जा रहे हैं वह पार्टी के हित में नहीं है।


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