कुत्ते बाइक के पीछे भागें तो स्पीड कम लो, काटेंगे नहीं
ट्राईसिटी में डॉग बाइट के बढ़ते मामलों पर अंकुश के लिए डॉग बिहैवियरिस्ट लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रह हैं। लोगों को ऐसी हरकतों को रोकने की सलाह दी जा रही है जिसके चलते कुत्ते उत्तेजित होकर काटते हैं।
जासं, चंडीगढ़ : ट्राईसिटी में डॉग बाइट के बढ़ते मामलों पर अंकुश के लिए डॉग बिहैवियरिस्ट लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रह हैं। लोगों को ऐसी हरकतों को रोकने की सलाह दी जा रही है, जिसके चलते कुत्ते उत्तेजित होकर काटते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम अपनी उन आदतों पर काबू पा लें तो डॉग बाइट के मामले कम किए जा सकते हैं।
फ्यूरियर फ्रेंड्स एनिमल रेस्क्यू ऑर्गनाइजेशन के डॉग बिहैवियरिस्ट दिव्य दहिया ने बताया कि ट्राईसिटी में एक दिन में कुत्ता काटने के 100 से 120 मामले सामने आ रहे हैं। इसे हम बहुत आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए उनकी संस्था की ओर से जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं। दिव्य का कहना है कि कुत्तों को समय पर खाना-पानी न मिलना और नागरिकों की बेरुखी इसका बड़ा कारण है। इसके साथ ही नासमझ लोगों के उकसाने से उत्तेजित या परेशान होकर अथवा किसी हमले से बचने के लिए कुत्ता काटने पर मजबूर हो सकता है। ऐसी गलती से बचें
अनजान कुत्ता गुस्से में दिखे तो उससे नजरें न मिलाएं, उसके सामने झुकें नहीं, न ही उसे छूने की कोशिश करें। बस उससे दूर हट जाएं। कोई पालतू कुत्ता भी जब आपके पास आए तो विचलित न हों। हाथ न नचाएं, उसे सूंघने दें और शांत रहें। उसे आपको जानने का अवसर दें। इस दौरान उसे छूएं नहीं, न ही उससे दोस्ती जताने की कोशिश करें। कुछ सेकेंड बाद वह खुद संतुष्ट होकर शांत बैठ जाएगा या चला जाएगा। बच्चों को जागरूक करना जरूरी
दहिया मानते हें कि जागरूकता महत्वपूर्ण है। बच्चों को जानवरों के प्रकार और उनके साथ मिलजुल कर रहने का महत्व समझाएं। बच्चों को डराएं नहीं, जागरूक बनाएं। यदि आप बच्चों से सिर्फ यह कहेंगे कि कुत्ता काट लेगा, तो वे उसे देखते ही चीखने या भागने लगेंगे, जो कुत्ते के लिए खतरे का संकेत है और वो आक्रामक हो सकता है। कुत्तों से डरने वाले वयस्क भी अजीबोगरीब उछलकूद करके स्थिति को बिगाड़ते हैं। इन बातों पर करें गौर
कुत्ता पूंछ हिलाए तो इसका मतलब यह नहीं कि वो फ्रेंडली है। यदि उसकी पूरी बॉडी हिले तो समझिए वह दोस्ताना है। यदि शरीर अकड़ा रहे, सिर्फ पूंछ हिलाए और नजरें न मिला रहा हो तो मान कर चलें कि कुत्ता उत्तेजित है। भलाई इसी में है कि उससे दूर रहें। किसी भी हालत में एक कुत्ते को पत्थर या डंडा न मारें। ऐसी मूर्खता अधिकांश लोग करते हैं, इसीलिए डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे हैं। मारने-धमकाने से कुत्ता आक्रामक हो जाता है। उससे प्यार से पेश आएं। कुत्ते बहुत फ्रेंडली होते हैं। कुत्तों की आक्रामकता कम करने के लिए उनकी नसबंदी, वैक्सीनेशन, खाने-पीने की व्यवस्था और दोस्ताना माहौल देना जरूरी है। यह काम न सरकार ठीक से कर रही है, न ही आम जनता, इसलिए समस्या बढ़ी हुई है। कुछ लोग कुत्तों को खाना-पानी देने लगते हैं तो कुछ बद्दिमाग लोग उसमें अड़ंगा डालते हैं। यदि हर दूसरे-तीसरे घर से थोड़ा बहुत खाना-पानी मिलता रहे, तो बेघर कुत्ते शांत रहेंगे। लोगों को पशु क्रूरता कानूनों का डर दिखाना भी जरूरी है, ताकि कुत्तों के प्रति उनका व्यवहार उचित रहे। कुछ विशेष बातें
-बच्चे और बुजुर्ग अधिक छेड़ते हैं राह बैठे कुत्तों को, तभी बनते हैं शिकार
- मानवीय लापरवाही से होते हैं कुत्ते बीमार, रेबीज पीड़ित कुत्ते से दूर रहें
- डरे हुए कुत्ते को मारने पर वह हमला कर सकता है, उसे छेड़िए नहीं
- खाने व बैठने की जगह और मेटिग टाइम में दखलंदाजी पसंद नहीं करते कुत्ते
- कुत्तों को तंग न करें तो कम हो सकते हैं डॉग बाइट मामले
- कुत्ते को पत्थर या डंडा कभी न मारें। यह गैरकानूनी और अनुचित हरकत है।
- कुत्तों को कभी उनके इलाके से दूर न छोड़ें, इससे उनमें गुस्सा बढ़ता है।