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आरटीए बनाने से खर्च घटा, लेकिन परेशानी बढ़ी, अब यू टर्न लेने की तैयारी

पंजाब में आरटीए बनाए जाने से खर्च तो घटा है, लेकिन इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में सरकार इस पर यूटर्न लेने की तैयारी में है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 02:16 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 02:16 PM (IST)
आरटीए बनाने से खर्च घटा, लेकिन परेशानी बढ़ी, अब यू टर्न लेने की तैयारी
आरटीए बनाने से खर्च घटा, लेकिन परेशानी बढ़ी, अब यू टर्न लेने की तैयारी

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब सरकार ने वित्तीय बोझ कम करने के लिए डीटीओ सिस्टम खत्म करके रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) का गठन किया था। खर्च तो घटा लेकिन अथॉरिटी बनने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। शिकायतों का बढ़ता बोझ देखते हुए अब ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट यू-टर्न लेने की तैयारी में है। इसके लिए बाकायदा कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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डीटीओ खत्म कर बनाए गए आरटीए, गाडिय़ों की रजिस्ट्रेशन व ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में लग रहा लंबा समय

बता दें कि पंजाब सरकार ने 5 जुलाई 2017 में नई ट्रांसपोर्ट नीति को मंजूरी देते हुए राज्य में डीटीओ सिस्टम को खत्म कर दिया था। सभी जिलों में स्थापित डीटीओ को खत्म करके 11 आरटीए गठित कर दिए थे। नई गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन का काम एसडीएम को सौंप दिया था।

एक आरटीए के साथ करीब दो-दो जिले जोड़े गए थे। इस प्रणाली से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि ड्राइविंग लाइसेंस को भी रिन्यू करने में दो-दो माह का समय लग रहा है। गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन में और समय लग रहा है। लोग लंबी दूरी तय करके आरटीए के चक्कर लगा रहे हैं।

विभाग के अधिकारियों के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं। लोगों की बढ़ी परेशानी व नाराजगी का आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान की आशंका से ट्रांसपोर्ट मंत्री अरुणा चौधरी भी चिंतित हैैं। उन्होंने कैबिनेट बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था और आरटीए की संख्या पुन: 22 यानी हरेक जिले में एक आरटीए बनाने की सिफारिश की थी। इस पर चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने कहा था कि जिले में एसडीएम भी गाडिय़ों की रजिस्ट्रेशन का काम कर रहे हैैं।

जानकारी के अनुसार एसडीएम पर सरकारी योजनाओं का अत्यधिक दबाव होने के कारण गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन का काम खासा प्रभावित हो रहा है। ट्रांसपोर्ट मंत्री ने भी यह बात उठाई थी। उल्लेखनीय है कि पहले हरेक जिले में जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) होता था, जबकि नई नीति के तहत मात्र 11 आरटीए बनाए गए है। इनमें छह आरटीए में पीसीएस अधिकारी लगाए गए है। पांच में ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी है।

इससे सरकार पर वित्तीय बोझ तो कम हुआ है लेकिन लोगों की परेशानी बढ़ गई है। उच्च स्तरीय सूत्रों की माने तो ट्रांसपोर्ट विभाग अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट बैठक में यह एजेंडा ला सकता है कि आरटीए की संख्या 11 और बढ़ाया जाए। ताकि इसे बजट सत्र में ही पास करवाया जा सके।

काम हो रहा प्रभावित : अरुणा चौधरी

ट्रांसपोर्ट मंत्री अरुणा चौधरी का कहना है कि फील्ड से शिकायतें आ रही हैं कि रूटीन के काम-काज में देरी हो रही है। चूंकि एक आरटीए दो-दो जिलों से जुड़े हुए हैं, इसलिए भी देरी हो रही है। लोगों को परेशानी न हो इसके लिए हरेक जिले में आरटीए लगाने का विचार किया जा रहा है।

यहां बनाए गए हैं आरटीए

बठिंडा : बठिंडा व मानसा के लिए।

फरीदकोट : फरीदकोट व मुक्तसर के लिए।

फिरोजपुर : फिरोजपुर व फाजि़ल्का के लिए। 

पटियाला : पटियाला व फतेहगढ़ साहिब के लिए।

संगरूर : संगरूर व बरनाला के लिए।

गुरदासपुर : गुरदासपुर व पठानकोट के लिए।

अमृतसर : अमृतसर व तरनतारन के लिए।

लुधियाना : लुधियाना व मोगा के लिए।

मोहाली : मोहाली व रोपड़ के लिए। 

जालंधर : जालंधर व कपूरथला के लिए।

होशियारपुर : होशियारपुर व नवांशहर के लिए।


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