पलायन कर चुके श्रमिकों ने बढ़ाई किसानों की टेंशन
कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के बीच प्रवासी लेबर वर्ग का अपने पैतृक राज्यों को लौटने का सिलसिला लगातार जारी है।
चेतन भगत, कुराली
कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के बीच प्रवासी लेबर वर्ग का अपने पैतृक राज्यों को लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। मूल रूप से बिहार, यूपी वासी लेबर तबके के ज्यादातर प्रवासी अपने घर जा चुके हैं, जिसके फलस्वरूप लेबर की कमी का बड़ा असर इंडस्ट्री के साथ ही खेतीबाड़ी पर भी पड़ने लगा है। अगले महीने के शुरुआती दौर से धान की बिजाई करने की तैयारी में किसानों के चेहरे लेबर न मिलने की वजह से मुरझाए हुए है। चार हजार एकड़ में होगी धान की बिजाई
एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डॉ. गुरबचन सिंह के अनुसार कुराली के निकटवर्ती ब्लॉक माजरी सब डिवीजन एरिया में करीब चार हजार एकड़ में धान की बिजाई होती है। उन्होंने बताया कि कुल एरिया के करीब 25 प्रतिशत रकबे में इस बार किसान धान की रोपाई सीधे तौर पर करने की उम्मीद की जा रही है जिसके धीरे-धीरे बढ़ने के भी आसार है। सरकार द्वारा के मिशन तंदुरुस्त पंजाब के तहत पानी की बचत और माइग्रेशन की वजह से लेबर वर्ग की हुई कमी के बीच धान की सीधी बिजाई से दोनों समस्याओं का निदान संभव है। सीधी बिजाई के लिए किसानों को कर रहे मोटिवेट
डॉ. गुरबचन सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से ज्यादा से ज्यादा किसानों को धान की रोपाई सीधे तौर पर करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। धान की सीधी रोपाई के लिए ब्लॉक माजरी एरिया में 10 से 12 मशीनें किराये पर उपलब्ध है जिनकी सहायता से एक हजार से बारह सौ प्रति एकड़ के खर्च पर सुबह शाम धान की बिजाई की जा सकती है और ट्रायल के तौर पर कई किसानों ने इसका फायदा लेना भी शुरू कर दिया है। उनका कहना था कि धान की सीधी बिजाई से लेबर की कमी की समस्या हल होगा और कम खर्च पर इस तकनीक से पानी की बचत भी हो सकेगी। फील्ड में किसानों को दिया जा रहा ट्रायल
सेक्रेटरी खेतीबाड़ी पंजाब और डायरेक्टर खेतीबाड़ी किसान भलाई विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के तहत धान की सीधी रोपाई के बाबत किसानों को फील्ड में जाकर इस तकनीक के बाबत जागरूक किया जाना है क्योंकि अधिकतर किसान मशीन से धान की बिजाई के प्रति अनजान है। इसी के अंतर्गत डॉ. गुरबचन सिंह की अगुआई में एग्रीकल्चर विभाग की टीम ने गांव शाहपुर में किसान सुखविदर सिंह के खेत में पीएयू की गाइडलाइंस के तहत ट्रायल शुरू किया। इस दौरान किसानों को मशीन के माध्यम से सीधी बिजाई की विधि और दवाइयों के स्प्रे की जानकारी दी गई। लेबर की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें
किसान नायब सिंह, स्वर्ण सिह, हरविदर सिंह आदि का कहना है कि ऐसा हालात पहली बार देखने को मिले हैं कि लेबर की कमी के चलते धान की रोपाई का काम लटका हुआ है। वैसे तो लेबर मिल नहीं रही और अगर कोई प्रवासी लोग राजी भी होते हैं तो पहली बार की अपेक्षा दुगनी मजदूरी मांग रहे हैं। किसानों का कहना था कि लेबर की कमी के कारण इस बार वो मशीन के माध्यम से सीधी धान की फसल की रोपाई करने पर विचार कर रहे है पर मन में अभी भी संशय है कि इस तकनीक से फसल का पूरा झाड़ मिल पाएगा या नहीं।