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अमृतसर में कोरोना पॉजीटिव शवों की अदला-बदली, हाई कोर्ट पहुंचा मामला, सरकार से मांगा जवाब

Exchange of Corona positive dead bodies अमृतसर के जीएनडीएच में कोरोना पॉजीटिव मृतकों के शवों की अदला बदली का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने मामले पर सरकार से जवाब मांगा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 01:30 PM (IST)
अमृतसर में कोरोना पॉजीटिव शवों की अदला-बदली, हाई कोर्ट पहुंचा मामला, सरकार से मांगा जवाब
अमृतसर में कोरोना पॉजीटिव शवों की अदला-बदली, हाई कोर्ट पहुंचा मामला, सरकार से मांगा जवाब

जेएनएन, चंडीगढ़/अमृतसर/होशियारपुर। गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में शवों की अदला-बदली का मामला में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा है। जिला होशियारपुर के गांव टांडा राम सहाय याचिकाकर्ता गुरबचन सिंह और दलबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके पिता प्रीतम सिंह अभी जिंदा हैं और अस्पताल प्रशासन इस मामले में कोई गोलमाल कर रहा है। याचिका पर पंजाब सरकार को 22 जुलाई के नोटिस जारी करते हुए जस्टिस विवेक पुरी ने कहा है कि सरकार तथ्यों की जांच करके अदालत में विस्तृत जवाब पेश करे।

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याचिकाकर्ता दलबीर सिंह ने कहा है कि उनके परिवार के पांचों सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें होशियारपुर स्थित रयात और बाहरा यूनिवर्सिटी में बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में रखा गया था। जहां से उन्हें और उनके पिता प्रीतम सिंह को पांच जुलाई को गुरु नानक देव हॉस्पिटल भेज दिया गया। प्रीतम सिंह को छह जुलाई को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया।

याचिका के अनुसार, अस्पताल के डॉक्टरों ने 13 जुलाई को दलबीर सिंह को बताया कि उनके पिता प्रीतम सिंह की 11 जुलाई को मौत हो चुकी है। परंतु जब दलबीर सिंह ने आईसीयू में देखा तो उनके पिता सही सलामत थे। इसके बाद 13 जुलाई को ही दलबीर सिंह को अचानक अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद 18 जुलाई को उन्हें बताया गया कि उनके पिता का 17 जुलाई को रात 11 बजे निधन हो गया। मुकेरियां में उन्हें उनके पिता का शव सौंपा गया। परंतु उन्हें सौंपा गया शव उनके पिता की बजाए पदमा नाम की महिला का था। बाद में शव मुकेरियां की मोर्चरी में रखवा दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उनके पिता जीवित हैं और अभी गुरु नानक देव अस्पताल में ही हैं क्योंकि कोविड-19 के स्टेंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर के तहत किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर उसके परिवार को शव का चेहरा दिखाना आवश्यक है। याचिकाकर्ताओं ने याचिका में अस्पताल में किसी बड़े घोटाले की आशंका जताते हुए उनके पिता की गुमशुदगी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

वहीं कोर्ट में पीडि़त पक्ष की पैरवी कर रहे एडवोकेट राजीव मल्होत्रा और एडवोकेट सतिंदर दीप बोपाराय ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के जरिए अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस मामले में अमृतसर के अतिरिक्त सिविल सर्जन, गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से भी जवाब मांगा गया है। 18 जुलाई को श्मशानघाट में चिता पर शव देखकर परिजनों को शंका हुई थी।

प्रीतम सिंह का शरीर भारी था, लेकिन शव काफी छोटा था। चेहरा देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। यह शव अमृतसर की एक महिला का था। अमृतसर से संबंधित यह महिला कैंसर से पीडि़त थी। उसके शव को किट में ठीक उसी तरह पैक करके भेजा गया जैसे कोरोना पीड़ित मरीजों की मौत के बाद उनके शवों को पैक करके भेजा जाता है। यह सब बातें संदेह उत्पन्न करती हैं। 


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