अंतिम संस्कार के लिए भी मासूम को नसीब नहीं हुई मां की गोद
जब बच्ची की पीजीआइ आइसोलेशन वार्ड में कोरोना के चलते मौत हुई। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ भी रो पड़ा।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक]। छह माह की मासूम रितिका को अंतिम समय में अपने मां-बाप की गोद भी नसीब नहीं हुई। इस जग से अलविदा कहते ही, बच्ची के साथ मां-बाप के मन में सभी अरमान भी दफन हो गए। मां-बाप ही नहीं, डॉक्टरों और नर्सिग स्टाफ के मन को मासूम का चेहरा बार-बार झकझोर रहा था। यही कारण है कि जब बच्ची की पीजीआइ आइसोलेशन वार्ड में कोरोना के चलते मौत हुई। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ भी रो पड़ा। रितिका की मौत के बाद पीजीआइ और चंडीगढ़ प्रशासन ने उसका अंतिम संस्कार करवाया।मासूम का अंतिम संस्कार रेडक्रॉस ने सेक्टर-25 शमशान घाट में किया।
आखिरी बार भी गले नहीं लगा पाए मां-बाप
रितिका के पिता रामू और उनकी पत्नी आखिरी समय में अपनी मासूम बच्ची को गले भी नहीं लगा पाए। बच्ची की मौत से रामू और उनकी पत्नी पर जो गुजरी है। इसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। अपनी मासूम बच्ची को गले लगाने की मां की आखिरी चाह भी अधूरी रह गई। मां-बाप बार-बार बस यही कह रहे थे कि उनकी बच्ची को कोरोना कैसे हुआ। डॉक्टर इसका जवाब नहीं दे रहे हैं। रामू का कहना है कि पीजीआइ के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की वजह से उसकी बच्ची को कोरोना हुआ। जिससे मौत हो गई।
बिटिया के साथ चले गए सपने
बच्ची के पिता रामू ने कहा वह अपनी बेटी पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते थे। लेकिन बिटिया के साथ उसके सपने भी चले गए। अकसर लोग एक बेटे की चाह रखते हैं। लेकिन वह हमेशा बेटी की चाह रखते थे। जब उसकी बेटी पैदा हुई थी। वह बहुत खुश थे। जब वह काम से घर लौटते थे। तब सबसे पहले अपनी बिटिया से मिलते थे। उसे अपने हाथों में लेकर उसके साथ खेलते थे। बेटी की मौत से उनकी पूरी दुनिया उजड़ गई।