दो साल का समय बीता, चंडीगढ़ प्रशासन तैयार नहीं कर सका पार्किंग पॉलिसी Chandigarh News
दो साल बीत चुके हैं। चंडीगढ़ प्रशासन अब तक पार्किंग पॉलिसी फाइनल नहीं कर पाया है। प्रशासन ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में मई 2019 तक पार्किग पॉलिसी फाइनल करने के लिए कहा था।
चंडीगढ़, जेएनएन। दो साल बीत चुके हैं। चंडीगढ़ प्रशासन अब तक पार्किंग पॉलिसी फाइनल नहीं कर पाया है। प्रशासन ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में मई 2019 तक पार्किग पॉलिसी फाइनल करने के लिए कहा था। लेकिन अब तक पार्किंग पॉलिसी फाइनल नहीं हो पाई। इस पर हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए हाल ही में हुई सुनवाई में चंडीगढ़ प्रशासन को अब तीन महीने का समय दिया है। तीन महीने के अंदर पार्किग पॉलिसी फाइनल कर हाई कोर्ट में इसकी जानकारी साझा करने के लिए कहा है।
इससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने 24 नवंबर 2017 को पार्किग पॉलिसी का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन अब तक पॉलिसी फाइनल नहीं हो सकी। प्रशासन ने पार्किग पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार किया था। उस पर कुल 145 सुझाव आए थे। इस पर प्रशासन ने इन सुझावों को पार्किंग पॉलिसी में शामिल करने के लिए समय मांगा था। दो साल बीत जाने के बावजूद पार्किंग पॉलिसी सिरे नहीं चढ़ी। पार्किग की समस्या खत्म करने के लिए फ्रांस एजेंसी का प्रपोजल भी ठप प्रशासन ने पार्किंग की समस्या से निपटने और शहर में बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार करने के लिए फ्रांस की एजेंसी हायर करने का प्लान तैयार किया था। फ्रांस की एजेंसी से शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने और पार्किग की समस्या के लिए विकल्प तलाशने का प्लान भी ठप हो गया।
पॉलिसी ड्राफ्ट में शामिल था यह सब
- पहली के बाद दूसरी कार खरीदी जाती है तो उसकी आधी कीमत के बराबर रोड टैक्स देना होगा। यानी अगर कार 10 लाख की है तो पांच लाख रुपये का रोड टैक्स देना होगा
- चंडीगढ़ में गाड़ी चलाने और रजिस्टर करवाने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ एंटाइटलमेंट (सीओई) देना होगा। जिससे 10 साल तक गाड़ी चलाई जा सकती है। गाड़ी की मांग बढ़ने पर सीओई की फीस बढ़ जाएगी। एक जनवरी 2018 के बाद ली जाने वाली हर कार पर लागू करने की सिफारिश है।
- छह महीने में कितनी कार रजिस्टर करनी हैं, यह पहले ही तय होगा। कार के बाद सीओई के लिए बिड होगी।
- अपने घर की पार्किंग को दूसरों को किराये पर दिया जा सकेगा।
- पंजाब और हरियाणा को छोड़ दूसरे राज्यों से आने वाली कारों को 50 प्रतिशत अधिक पार्किग फीस देनी होगी।
- ज्यादा कार पार्क हो सकें, इसके लिए मरला हाउसेज में आगे की दीवार को हटाया जा सकेगा।
- सेक्टर-17, 22, 35, 43, इंडस्ट्रियल एरिया और वी-1, 2, 3 रोड के साथ लगती जगहों पर ट्रैफिक ज्यादा होने के कारण सुबह और शाम को पीक ऑवर्स में पार्किंग फीस ज्यादा ली जाएगी।
- जिन आइटी कंपनियों और इंडस्ट्रियल एरिया की कंपनियों में 50 से ज्यादा इंप्लाई हैं, उन्हें स्टाफ बस चलानी होंगी। कंपनी परिसर से बाहर गाड़ी खड़ी करने पर प्रति कार प्रति दिन की एक हजार पेनल्टी लगेगी।
ये आए हैं सुझाव
- बढ़ते ट्रैफिक को कम करने के लिए आउटर रिंग रोड बाईपास पर बसों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
- मेट्रो प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहिए। मेट्रो अंदरूनी और बाहरी बढ़ते ट्रैफिक को नियंत्रण करने में अहम भूमिका अदा कर सकती है।
- इससे प्रशासन को भी मोटा नुकसान होगा। लोग पड़ोसी राज्यों से वाहन खरीदना शुरू कर देंगे।
- लोगों को साइकिल और इलेक्ट्रिक ऑटो इस्तेमाल के लिए जागरूक करना चाहिए। यह भी ट्रैफिक नियंत्रित करने की वजह बन सकता है।
- कम्युनिटी पार्किंग शुरू की जानी चाहिए। साथ ही ऑफिस और बिजनेस स्थलों पर शेयरिंग ट्रांसपोर्टेशन के माध्यम से भी जाया जा सकता है।
- पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देना चाहिए।
- सभी अधिकारियों के पास अलग से सरकारी कार है। ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिससे अधिकारी कार शेयरिंग से ऑफिस आ सकें। सरकारी ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ पर भी इसे लागू किया जा सकता है।
- दिल्ली-पंचकूला की तर्ज पर बिल्डिग बायलॉज में बदलाव कर ग्राउंड फ्लोर पर पार्किग बनाए जाने को अनिवार्य किया जाए। इसके बदले में बिल्डिंग की हाईट बढ़ाने की मंजूरी दे दी जाए। चार मंजिल तक बनाने की मंजूरी दी जाए।
शहर में पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रही है, दो साल हो गए लेकिन अब तक पॉलिसी नहीं बन पाई है। पार्किंग स्पेस को लेकर बिल्डिंग बायलॉज में भी संशोधन की जरूरत है ताकि पार्किग एरिया डेवलप किया जा सके।
-बलजिंदर सिंह बिट्टू, अध्यक्ष, फासवेक।
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