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किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा, मक्की, गन्ने व गेहूं से बनेगा एथनॉल

मक्की, गन्ना व गेहूं समेत अन्य खाद्य पदार्थों से अब एथनॉल बनाया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने अपनी नई नीति में कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 05:18 PM (IST)
किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा, मक्की, गन्ने व गेहूं से बनेगा एथनॉल
किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा, मक्की, गन्ने व गेहूं से बनेगा एथनॉल

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। मक्की, गन्ना व गेहूं समेत अन्य खाद्य पदार्थों से अब एथनॉल बनाया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने अपनी नई नीति में कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। खेती विभाग के सेक्रेटरी काहन सिंह पन्नू ने इसकी पुष्टि की है।

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पेट्रोल में 20 फीसद और डीजल में 5 फीसद एथनॉल को मिलाया जा सकता है। यह मक्की के अलावा खराब हुई गेहूं समेत अन्य खाद्यान्न से भी बन सकता है। फिलहाल पंजाब की 16 में से 13 चीनी मिलें ऐसी हैं, जो गन्ने के मोलेसिस (शीरा) के अलावा खाद्यान्न के मोलेसिस से शराब बनाती हैं।

खेतीबाड़ी विभाग की नजर इन 13 शराब की फैक्ट्रियों पर है, ताकि उन्हें इस बात के लिए राजी किया जा सके कि वे मक्की से एथनॉल बनाएं। अगर ऐसा होता है तो पंजाब में मक्की उत्पादकों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिल सकते हैं।

चीनी मिलों को इस बात पर राजी करने और मक्की से एथनॉल के अलावा और बायो प्रोडक्ट्स के बारे में बातचीत के लिए काहन सिंह पन्नू ने सोमवार को सभी चीनी मिलों की मीटिंग बुलाई है। पन्नू ने बताया कि मक्की धान की अच्छी वैकल्पिक फसल है, लेकिन यदि उसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य वाले मिल जाते हैं, तो ही किसान इस ओर मुड़ेंगे।

केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई नई नीति का हमने वित्तीय तौर पर भी आकलन करवाने के लिए प्रयोग शुरू कर दिया है। बनूड़ स्थित चीनी मिल में मक्की से एथनॉल तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया मक्की से 42 फीसदी एथनॉल निकलता है, जबकि 17 फीसदी इसमें नमी का कंटेंट है। शेष बचा हुए पदार्थ से डेयरी फार्म के लिए फीड भी तैयार की जा सकती है जो काफी सस्ती पड़ेगी।

शर्तों पर मांगा स्पष्टीकरण

पन्नू ने बताया कि केंद्र ने नई नीति में कुछ शर्तें लगाई हैं, जिसके बारे में हमने उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। मसलन उन्होंने कहा कि एथनॉल केवल उन्हीं खाद्यान्नों से निकाला जाएगा, जो सरप्लस हैं, लेकिन सरप्लस कौन-कौन सी फसल है, इसको तय करने के लिए केंद्रीय कमेटी बनी हुई है। इसके अलावा खराब हुए अनाज से भी बनाया जा सकता है।

13 मिलों में निकलता है खाद्यान्नों का शीरा

खेती विभाग के सेक्रेटरी ने यह भी बताया कि पंजाब में 13 मिलें खाद्यान्नों से मोलेसिस (शीरा) तैयार करके शराब बनाती हैं, हम उनसे कहने जा रहे हैं कि वे गन्ने से चीनी तैयार करने की बजाए उससे एथनॉल तैयार कर लें इससे न केवल गन्ने की कीमत अच्छी मिल जाएगी, बल्कि चीनी के रेट भी ठीक हो जाएंगे। इन दिनों देश भर की चीनी मिलों पर संकट बना हुआ है, क्योंकि उन्हें चीनी के सही दाम नहीं मिल रहें।

इन सभी चीनी मिलों ने 11 हजार करोड़ रुपये का बकाया किसानों को देना है। पंजाब में लगभग यही हाल है। काहन सिंह पन्नू ने बताया कि एथनॉल मक्की, गन्ना व गेहूं से निकाला जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो न केवल किसानों को उनकी उपज के सही दाम मिल सकेंगे बल्कि पंजाब में एग्रो आधारित इंडस्ट्री को भी आमंत्रित किया जा सकेगा।

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