पर्यावरण संरक्षण का अनोखा प्रयास, हर खास मौके पर बांटते हैं पौधे Chandigarh News
कुछ करने की चाह हो तो रास्ता खुद ही मिल जाता है। इसी को सच कर दिखाया है जतिन सलवान ने। शहर के सेक्टर-15 में रहने वाले जतिन सलवान ने पर्यावरण बचाव का अनोखा संकल्प लिया है।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। कुछ करने की चाह हो तो रास्ता खुद ही मिल जाता है। इसी को सच कर दिखाया है जतिन सलवान ने। शहर के सेक्टर-15 में रहने वाले जतिन सलवान ने पर्यावरण बचाव का अनोखा संकल्प लिया है। किसी के जन्म से लेकर देहांत तक कोई भी मौका हो, जतिन उस परिवार को गिफ्ट के तौर पौधा भेंट करते है। यह काम जतिन सलवान बीते आठ सालों से कर रहे हैं। हर साल तीन सौ पेड़ और डेढ़ सौ के करीब पौधे बांटते है। यह निर्णय जतिन सलवान ने पर्यावरण को बचाने के लिए लिया गया है। पर्यावरण में प्रदूषण न फैले इसके लिए अपनी बॉडी का भी अंतिम संस्कार करवाने के बजाए उसे डोनेट कर दिया गया है। ताकि मेडिकल के स्टूडेंट्स उस पर रिसर्च वर्क कर सके और शरीर को जलने में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी को बचाया जा सके। पेड़-पौधों से प्यार ऐसा है कि घर का हर कोना नेचुरल हरियाली से भरा पड़ा है।
डायबिटीज से मरे डॉग की याद में शुरू किए थे पौधे लगाने
जतिन ने बताया कि उनके घर में जर्मन ब्रीड का एक डॉग था। जो कि गिफ्ट में दोस्त से मिला था। उस डॉग को शुगर हो गया था। उसका इलाज भी कराया गया लेकिन उसे बीमारी से बचाया नहीं जा सका और 14 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। जहां पर उसे दफन किया गया वहां पर नीम का पौधा लगाया क्योंकि शुगर को कंट्रोल करने के लिए नीम रामबाण की तरह काम करता है। उन पेड़ों को लगाने के बाद पौधों को बांटना शुरू कर दिया और यह मुहिम हर साल जारी रखी हुई है। किसी के देहांत पर भी डोनेट करते हैं पौधे जतिन ने बताया कि जब किसी के घर में देहांत हो जाता है तो भी हम उन्हें पौधे डोनेट करते हैं। जिस भी मौसम में इंसान का देहांत होता है उसके परिवार को उसी सीजन में फूल देने वाले पौधे दिए जाते हैं। ताकि पांच से आठ साल बाद जब किसी की वरसी बनाई जानी हो तो उस पेड़ पर फूल खिले हुए हों और परिवार उन्हें आशीर्वाद की तरह माने।
घर में माली से तैयार करवाते हैं पौधे
जतिन ने बताया कि जो भी पौधे देता हूं वह घर में लाकर माली से तैयार करवाए जाते हैं। पहले नर्सरी में जाकर पौधे खरीदता हूं। उसके बाद उनकी कटाई की जाती है ताकि वह बेहतर तरीके से बढ़ सके। हर शनिवार और रविवार को नर्सरी में जाकर दस से पंद्रह पौधे लाए जाते हैं और पूरे सप्ताह में माली उन्हें तैयार करता है। विशेष प्रकार के गमले तैयार किए जाते है और उन्हें लगाया जाता है। न मोबाइल और न ही गहनों सिर्फ पेड़ों पर ही करते है खर्च जतिन सलवान पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट के तौर पर कार्यरत है। पर्यावरण प्रेम इस कदर छाया हुआ है कि न तो कोई मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और न ही शरीर पर किसी प्रकार के गहने हैं। यहां तक की बाजू पर कभी घड़ी तक नहीं बांधी। खाना और कपड़े खरीदने का खर्च ही खुद पर करते हैं। इसके अलावा किसी भी प्रकार का खर्च खुद पर नहीं करते। जो भी पैसे बचते है वह सिर्फ और सिर्फ नए पौधे खरीदने में ही इस्तेमाल करते हैं।
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