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फुटपाथों पर अवैध कब्जेः कार्रवाई करने पर आता है नेता का फोन और लौट जाते हैं निगम कर्मचारी

फुटपाथों के अवाला अब मंदिर-गुरुद्वारों के बाहर भी अवैध कब्जे होने लगे हैं जहां मंदिर सामग्री का सामान बेचने वालों ने कब्जा कर लिया है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 12:28 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 05:55 PM (IST)
फुटपाथों पर अवैध कब्जेः कार्रवाई करने पर आता है नेता का फोन और लौट जाते हैं निगम कर्मचारी
फुटपाथों पर अवैध कब्जेः कार्रवाई करने पर आता है नेता का फोन और लौट जाते हैं निगम कर्मचारी

मोहाली, जेएनएन। शहर में पैदल चलने के लिए फुटपाथ तो जगह-जगह दिखाई देंगे परंतु इन पर लोगों के चलने की जगह ही नहीं है। लोगों का कहना है कि पैदल कहां चले, फुटपाथों पर तो अवैध कब्जे हो रखे हैं। शहर की सरकारी जमीनों व फुटपाथों पर रेहड़ी-फड़ी वालों ने कब्जा जमा रखा है। यही नहीं, छोटी सी रेहड़ी-फड़ी लगाकर सरकारी जगह पर कब्जा किया जाता है और कुछ दिनों बाद वहां बड़ी दुकान बन जाती है। कुछ दुकानदारों ने स्ट्रीट वेंडर्स को अपने शोरूम के बाहर दुकानें लगाकर दी है जोकि उनसे एक दिन के 300 से 500 रुपये वसूल रहे हैं।

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आलम ये है कि शहर की मार्केट्स मच्छी बाजार की तरह नजर आती है, जहां जगह-जगह लगी फड़ियों के कारण वहां से गुजरना मुश्किल हो गया है। यही नहीं ऐसे अवैध कब्जे अब मंदिर-गुरुद्वारों के बाहर भी होने लगे हैं, जहां मंदिर सामग्री का सामान बेचने वालों ने कब्जा कर लिया है। नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते के कर्मचारियों ने बड़े दुकानदारों व शोरूम मालिकों से सेटिंग कर रखी है। अगर अधिकारियों की सख्ती हो तो खानापूर्ति के लिए छोटा-मोटा चालान काट दिया जाता है। लेकिन सड़कों पर लग रही अवैध रेहड़ी-फड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। सूत्रों बताते हैं कि निगम के कुछ कर्मचारी इन रेहड़ी फड़ी वालों से हफ्ता तक वसूल रहे हैं इसलिए उनके कब्जे कायम हैं।

निगम की कार्रवाई से पहले पहुंच जाती है सूचना

अवैध रेहड़ी-फड़ी वालों ने अपना धंधा चलाने के लिए कुछ इस तरह से सेटिंग की हुई है कि जैसे ही अतिक्रमण हटाओ दस्ता कार्रवाई के लिए निकलता है तो कब्जाधारक रेहड़ी-फड़ी वालों को इसकी सूचना पहले ही मिल जाती है। कुछ आरजी तौर पर रेहड़ियां लगाकर कब्जा करने वाले तो उनके आने से पहले अपनी रेहड़ी मौके से गायब हो जाते हैं परंतु पक्के कब्जाधारक अपनी दुकान पर तिरपाल डालकर उसे ढक कर एक तरफ हो जाते हैं। बाद में दस्ते के चले जाने के बाद फिर से अवैध फड़ियां लग जाती हैं।

चालान काटने से पहले नेताओं के आने लगते हैं फोन

जांच में यह बात सामने आई है कि सरकारी जमीनों पर कब्जा जमाकर बैठे स्ट्रीट वेंडर्स इतना रसूख रखते हैं कि अगर अतिक्रमण हटाओ दस्ता समय पर पहुंचकर उनका चालान काटने लगता है उससे पहले ही राजनीतिक नेताओं के फोन उन्हें आ जाते हैं। फोन करने वाला बोलता है हमारा आदमी है रहने दो.. बेबस कर्मचारियों को मजबूरन उन्हें छोड़ना पड़ता है। जबकि फेज-7, फेज-11, फेज-6 ऐसी मार्केट हैं जहां पर फुटपाथ, पार्किग, दुकानों के बरामदे और कारिडोर तक पर कब्जे हो चुके हैं। जबकि ये जगह लोगों के पैदल चलने के लिए रिजर्व हैं।

हाई कोर्ट के निर्देशों का यहां नहीं किया जा रहा पालन

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट भी इस मासले पर सख्त रुख जाहिर कर चुका है। मगर वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा लगता है प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है। वेंडर एक्ट के अनुसार कोई भी लाइसेंस धारक वेंडर पांच फीट चौड़ा और छह फीट से ज्यादा जगह नहीं घेर सकता है, लेकिन इस नियम की पालना 5 प्रतिशत भी नहीं हो रही। कई वेंडर ऐसे हैं, जिन्होंने 40 से 50 फीट जगह पर दुकान सजाई हुई है।

हमारे अतिक्रमण हटाओ दस्ता समय-समय पर कार्रवाई कर रहा है। अगर सेटिंग वाली बात है तो मैं इसकी जांच करवाऊंगा और अगर किसी को उसकी जानकारी है अतिक्रमण हटाओ दस्ते के कर्मचारी पैसे लेते हैं तो मुङो जानकारी दें मैं तुरंत कार्रवाई करुंगा।

भूपिंदर पाल सिंह, नगर निगम कमिश्नर।

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