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धनबल व बाहुबल से चुनावी सिस्‍टम को किया जा रहा प्रभावित : मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि आज धन और बाहुबल से चुनावी सिस्‍टम को प्रभावित किया जा रहा है। इससे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 08:23 PM (IST)Updated: Thu, 12 Apr 2018 09:01 PM (IST)
धनबल व बाहुबल से चुनावी सिस्‍टम को किया जा रहा प्रभावित : मनमोहन
धनबल व बाहुबल से चुनावी सिस्‍टम को किया जा रहा प्रभावित : मनमोहन

जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के चुनावी सिस्टम को पैसे और बाहुबल से प्रभावित किया जा रहा है। निहित स्वार्थों के लिए चुनाव आयोग जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों को भी नहीं बख्शा जा रहा। यह चिंतनीय है, जिसे समय रहते सुधारने की सख्त जरूरत है।

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वह बुधवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉ. एसबी रंगनेकर ओरेशन लेक्चर में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि भाईचारा, बराबरी, आजादी व चुनावी प्रक्रिया लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ हैं। अाज राजनीतिक पार्टियां इस स्तंभ को ही नुकसान पहुंचा रही हैं। लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने के लिए चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाया जाना जरूरी है।

पीयू के अर्थशास्‍त्र विभाग में करीब 52 साल पहले प्रोफेसर रह चुके मनमोहन सिंह ने लेक्चर के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला बोला। उन्होंने याेजना आयाेग खत्म करने, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा कि योजना आयोग आर्थिक असमानता को रोकने के लिए बनाया गया था। अब इस दिशा में नए सिरे से प्रयास की जरूरत है।

पंजाब विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा बनाए गए पोस्‍टर पर आटोग्राफ देते डॉ. मनमोहन सिंह।

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मीडिया और न्याय व्यवस्था को मजबूती मिलनी चाहिए। आर्थिक और सामाजिक बराबरी के मामले पर बोले कि देश को आगे ले जाने के लिए हमें सभी तरह की असमानता को खत्म करना होगा। कार्यक्रम में डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी मौजूद थीं।

बढ़ रहे हैं अल्संख्यकों और दलितों पर अत्याचार

उन्‍होंने अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों और दलित समाज के लोगों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं। यह ठीक नहीं है। बांटने वाली ताकतों और नीतियों से हमें बचना चाहिए। बिना भाईचारे के यह संभव नहीं है। अपने 20 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में न केवल समान रूप से सबकी सहभागिता हो, बल्कि सबको अपनी बात रखने को बराबर हक हो। सरकार हमेशा जनता द्वारा और जनता के लिए होती है।

शब्दों की आजादी मिले, लेकिन दूसरों की आजादी बाधित न हो

डॉ. सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में आजादी पूर्वापेक्षित होती है। यह सबको मिलनी चाहिए। यह लोगों की आजादी होती है, न कि सरकार की। किसी व्यक्ति या समूह विशेष की आजादी से दूसरे के अधिकारों को नुकसान नहीं होना चाहिए।

  डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, चुनाव प्रणाली पर हमें गर्व है। यह आम जनता के लिए नए अवसर पैदा करती है। आज बढ़ती आर्थिक व सामाजिक असमानता देश के लिए खतरा है। इस खतरे को पहचानना हाेगा। उन्‍होंने कहा कि व्यक्तिगत विचारों और सोच से ऊपर देश को रखें। तभी हालात सुधरेंगे। विभाजन का दंश मैंने झेला और खुद देखा है। इसलिए अब ऐसी स्थिति पैदा नहीं होने दी जा सकती। उन्‍होंने कहा कि गवर्नेंंस धीमी और जटिल प्रक्रिया है। फायदा देर से मिलता है।


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