चंडीगढ़ की राजनीति में आएगा बड़ा बदलाव, भाजपा अध्यक्ष के साथ बदलेंगे कई चेहरे
लोकसभा चुनाव के बाद अब चंडीगढ़ की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है। यह बदलाव कांग्रेस पार्टी में तो आएगा ही सत्तासीन भाजपा में भी कई चेहरे बदलेंगे।
चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। लोकसभा चुनाव के बाद अब चंडीगढ़ की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है। यह बदलाव कांग्रेस पार्टी में तो आएगा ही, सत्तासीन भाजपा में भी कई चेहरे बदलेंगे। भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए दौड़ शुरू हो जाएगी। कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव के साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। संजय टंडन दस साल से चंडीगढ़ भाजपा के अध्यक्ष हैं। अमूमन भाजपा के संविधान में किसी को भी लगातार दूसरी बार अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता है। टर्म पूरी होते ही अध्यक्ष बदला जाना जरूरी है।
किरण खेर की जीत में अहम रोल अदा करने वाले टंडन को दूसरी जिम्मेदारी मिल सकती है, जबकि उनकी जगह पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसी अन्य स्थानीय नेता को दी जाएगी। अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मेयर अरुण सूद के नाम की चर्चाएं चल रही हैं। यह चर्चाएं तब से ज्यादा हो रही हैं, जब से वे सांसद किरण खेर की टिकट पक्की होते ही चुनाव प्रचार में जुटे थे। अरुण सूद के पक्ष में कई नेता नहीं कहा जा रहा है कि किरण खेर की मदद से ही अरुण सूद अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़वा सकते हैं। हालांकि सूद के नाम पर सभी नेताओं को राजी करने में पार्टी नेतृत्व को मशक्कत भी करनी पड़ सकती है। अनिल दुबे और कई अन्य पार्षद सूद को यह जिम्मेदारी नहीं देने के पक्ष में बताए जा रहे हैं। वहीं, भाजपा में दूसरा खेमा पूर्व मेयर देवेश मोदगिल का नाम भी आगे बढ़ाने की तैयारी में है। देवेश पूर्व सांसद सत्यपाल जैन के बेहद करीबी हैं। उनकी बदौलत ही वह मेयर बने थे, अब भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भी वह जोर लगा रहे हैं।
सतिंद्र सिंह के साथ ही पूनम शर्मा भी दौड़ में
इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता सतिंद्र सिंह का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। जबकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर पवन बंसल को बड़ा झटका देने वाली पूर्व मेयर पूनम शर्मा भी इस रेस में शामिल हो सकती हैं। वह भी किरण खेर के काफी करीब हैं और महिला होने के नाते भी उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।
कांग्रेस में बड़े स्तर पर बदलाव होना तय
कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ी हार है। कार्यकर्ताओं के साथ नेताओं को भी इस बार सत्ता में लौटने की पूरी उम्मीद थी। खासकर चंडीगढ़ संसदीय क्षेत्र से जीत निश्चित समझने की भूल कांग्रेस को भारी पड़ गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल की लगातार दूसरी हार उनके राजनीतिक करिअर पर ब्रेक लगा सकती है। बंसल के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा की कुर्सी भी जा सकती है। बताया जा रहा है कि बंसल को टिकट देते समय राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदीप छाबड़ा से जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा था। बंसल की हार के बाद पार्टी में विद्रोह के स्वर और प्रबल होने लगे हैं। इससे पहले ही पूनम शर्मा कई तरह के आरोप लगाकर पार्टी छोड़ चुकी हैं।
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