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मोहाली के श्मशान घाट में इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से हुआ कोरोना संक्रमण से मरे बुजुर्ग का संस्कार

शव के साथ परिवार से केवल मृतक का बेटा ही श्मशान घाट पहुंचा। हालांकि इससे पहले श्मशान के स्टॉफ ने शव का अंतिम संस्कार करने से इन्कार कर दिया।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 07:40 PM (IST)
मोहाली के श्मशान घाट में इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से हुआ कोरोना संक्रमण से मरे बुजुर्ग का संस्कार
मोहाली के श्मशान घाट में इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से हुआ कोरोना संक्रमण से मरे बुजुर्ग का संस्कार

मोहाली, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से मरे नयागांव के 65 वर्षीय बुजुर्ग के शव का मंगलवार को सेक्टर- 57 स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। शव का अंतिम संस्कार इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से किया गया। शव के साथ परिवार से केवल मृतक का बेटा ही श्मशान घाट पहुंचा। हालांकि इससे पहले श्मशान के स्टॉफ ने शव का अंतिम संस्कार करने से इन्कार कर दिया।

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इस बीच नगर निगम की टीम ने मौके पर पहुंचकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कराई। टीम ने अंतिम संस्कार पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट किट पहनकर करवाया। श्मशान के स्टॉफ का कहना था कि उन्हें इस शव का संस्कार करने के लिए न कोई स्पेशल किट दी गई है और न ही सेनेटाइजर मुहैया करवाया गया है। ऐसे में वह कैसे बिना किसी प्रोटेक्शन के संस्कार कर सकते हैं। इस कारण से एक घंटे तक शव शमशान घाट में पड़ा रहा। मामला गंभीर होता देख नगर निगम के ईओ जगजीत सिंह साही के नेतृत्व में टीम के दो लोग वहां पहुंचे।

नयागांव में इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम की व्यवस्था नहीं

नयागांव में इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम की व्यवस्था नहीं है। वहां केलव दो छोटे श्मशान घाट हैं। इसलिए शव को संस्कार के लिए मोहाली लाया गया था। नियमों के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज के शव का संस्कार मुखाग्नि से नहीं किया जा सकता था, इससे इंफेक्शन फैलने का खतरा ज्यादा होता है। अंतिम संस्कार के पहले शव, शव गृह, इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम को सेनीटाइज किया गया था।

संस्कार के समय इन नियमों का करना पड़ता है पालन

-मोर्चरी स्टॉफ को कोरोना संक्रमित के शव लेने से पहले पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (स्पेशल किट) लेनी जरूरी है।

-शव को मोर्चरी में रखने से पहले 4 सेल्सियस कोल्ड चैंबर मेनटेन करना जरूरी है।

-शव को सिक्योर बॉडी बैग में पैक करने के बाद ही बाहर निकाला जाना जरूरी है।

-शव को श्मशान घाट तक छोडऩे वाली गाड़ी को सोडियम हाईपोक्लोराइट से साफ करना जरूरी है।

-पूरे शव को जीपर बैग में ढका जाता है और पीपीई स्टॉफ मेंबर परिजनों को दूर से अंतिम समय मृतक का मुुंह दिखाते हैं

-शव की अंतिम यात्रा के दौरान पढ़े जाने वाले विधि मंत्र, गंगाजल व अन्य रस्म (शहद इत्यादि)को परिवार का सदस्य पीपीई स्टॉफ को पकड़ाएगा।

-पीपीई स्टॉफ शव को बिना छुए इस विधि को पूरा करेंगे

-किसी भी परिवारिक सदस्य को शव छूने की अनुमति नहीं होती है

-मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार शव की राख (अस्थियां) से किसी तरह का खतरा नहीं होता, उसे एक दिन बाद हासिल किया जा सकता है।

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