फरीदकोट रिसायत के आखिरी शासक महाराजा की बड़ी बेटी को मिलेगा संपत्ति में हिस्सा
फरीदकोट रियासत के संपत्ति विवाद पर विराम लग गया है। हाई कोर्ट ने संपत्ति में रियासत के अंतिम शासक की बड़ी बेटी को संपत्ति में हिस्सा देने का फैसला सुनाया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। फरीदकोट रियासत के अंतिम शासक महाराजा हरिंदर सिंह की संपत्तियों के विवाद पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने विराम लगा दिया है। कोर्ट ने हरिंदर सिंह की बड़ी बेटी राजकुमारी अमृत कौर को भी महाराजा की संपत्ति में कानूनी हिस्सा देने के आदेश दिए हैं।
फरीदकोट रियासत के संपत्ति विवाद में हाई कोर्ट ने खारिज की 1982 में बनी वसीयत
राजकुमारी अमृत कौर और अन्य दावेदारों की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस राज मोहन सिंह ने महाराजा हरिंदर सिंह की 1 जून, 1982 को बनाई वसीयत को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस वसीयत के आधार पर गठित किए गए महारावल खीवाजी ट्रस्ट को भी निरस्त कर दिया।
हाई कोर्ट ने संपत्तियों की देखभाल करने वाले महारावल खीवाजी ट्रस्ट को किया भंग
अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि 16 अक्तूबर, 1989 को महाराजा हरिंदर सिंह की मौत के समय उनकी मां महारानी मोहिंदर कौर जीवित थीं। ऐसे में महाराजा हरिंदर सिंह की मौत होने पर उनकी मां रानी मोहिंदर कौर उनकी वास्तविक वारिस थीं। कोर्ट ने रानी मोहिंदर कौर की 29 मार्च, 1989 को बनाई गई महाराजा की वसीयत के आधार पर राजकुमारी अमृत कौर को महाराजा हरिंदर सिंह की विरासत में उनका कानूनी हिस्सा दिए जाने के आदेश दिए हैं।
यह है विवाद
महाराजा हरिंदर सिंह की चार संतानों में एक पुत्र और तीन पुत्रियां थीं। उनके पुत्र हरमोहिंदर सिंह की 1981 में ही निधन हो जाने के कारण उनकी वसीयत के दावेदारों में उनकी तीन पुत्रियां राजकुमारी अमृत कौर, राजकुमारी दीपिंदर कौर और राजकुमारी महिपिंदर कौर ही रह गई थीं। राजा हरिंदर सिंह की मौत के बाद उनकी कथित तौर पर साल 1982 में बनाई गई वसीयत के आधार पर महारावल खीवाजी ट्रस्ट अब तक इन संपत्तियों की देखरेख कर रहा है।
इस ट्रस्ट को दी गई संपत्तियों को चुनौती देते हुए राजकुमारी अमृत कौर ने महाराजा हरिंदर सिंह की बड़ी बेटी होने के नाते उनकी उत्तराधिकारी बनाए जाने या संपत्ति में उनका एक तिहाई हिस्सा देने की मांग की थी। उन्होंने महाराजा हरिंदर सिंह की वसीयत को भी चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि इस वसीयत में स्थायी ट्रस्ट व इसके सदस्यों के गठन की बात कही गई थी। वसीयत में कई संदेहास्पद प्रावधान थे।
ट्रायल कोर्ट ने भी खारिज की थी वसीयत
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी 1982 में बनाई गई वसीयत को खारिज करते हुए राजकुमारी अमृत कौर को महारानी दीपिंदर कौर के साथ राजा हरिंदर सिंह की संपत्तियों का कानूनी अधिकारी ठहराया था। इस वक्त महाराजा हरिंदर सिंह की एक ही संतान उनकी बड़ी बेटी अमृत कौर ही जीवित हैं।
सूरजगढ़ का किला भी महाराजा हरिंदर सिंह की संपत्ति
महाराजा हरिंदर सिंह की संपत्तियों में चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में उनके वर्ष 1962 में खरीदी गई होटल साइट के अलावा मनीमाजरा में वीरान पड़ा सूरजगढ़ किला भी शामिल है। उनकी संपत्तियों के विवाद में ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि राजकुमारी अमृत कौर, केंद्र या राज्य सरकार की ओर से ली जा चुकी संपत्तियों के अलावा अन्य सभी संपत्तियों पर राजकुमारी अमृत कौर का भी हिस्सा होगा।
पश्चिम बंगाल व हिमाचल से संबंध
राजकुमारी दीपिंदर कौर का विवाह पश्चिम बंगाल की बर्धमान रियासत के सादे चंद मेहताब (प्रिंस हैनरी) से हुआ था। इनके एक बेटा व बेटी है। बेटा जयचंद मेहताब रियासत का काम देख रहे हैं। बेटी निशा जर्मनी में रहती हैं। महाराजा हङ्क्षरदर सिंह के छोटे भाई कंवल मंजीत सिंह के बेटे रविंदर सिंह का विवाह 2015 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पौत्री मीनाक्षी से हुआ है।
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