नहीं जले रावण के पुतले, पिछले साल से कम रहा प्रदूषण का स्तर
पिछले दशहरे पर 33 जगह रावण दहन से एक्यूआइ 147 हुआ था दर्ज।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : कोरोना महामारी ने जनजीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। रीति-रिवाज, शादी-विवाह और त्योहार मनाने का तरीका भी बदल गया है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब चंडीगढ़ में कहीं कोई रावण दहन का आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ। रावण का बड़ा पुतला नहीं जला। जबकि पिछले साल दशहरे पर 33 अलग-अलग जगह आयोजित कार्यक्रमों में रावण दहन हुआ था। इसका फायदा यह हुआ कि रावण दहन के साथ जलने वाले पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस वातावरण में नहीं फैली। पहले पुतलों के साथ बड़ी संख्या में पटाखे भी जलते थे। यही वजह है कि इस बार दशहरे की रात पहले वर्षो की तरह जहरीली नहीं हुई। पिछले वर्ष दशहर पर सभी जगह रावण दहन के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 147 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया था। जो अगले दिन 160 भी दर्ज किया गया। जबकि रविवार को दशहरे की रात एक्यूआइ 121 दर्ज किया गया। दिन भर भी यह 120 के आस-पास ही रहा। पॉल्यूशन का स्तर ग्रीन से येलो जोन में पहुंचा
पारा गिरने के साथ ही प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। दूसरे शहरों की खराब हवा चंडीगढ़ तक मार कर रही है। जिससे यहां की हवा भी अब जहरीली हो गई है। रविवार को छुट्टी के दिन सड़कों पर वाहनों की संख्या 20 फीसद भी नहीं है। बावजूद इसके प्रदूषण ग्रीन से येलो जोन में पहुंच चुका है। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 120 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। येलो जोन के बाद ऑरेंज में पहुंचते ही हालत बिगड़ सकती है। जिसके बाद हेल्थ एडवाइजरी तक जारी करने की जरूरत पड़ जाएगी। सांस संबंधी मरीजों के लिए मुश्किल भरा दौर होगा। हालांकि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आंकड़े अभी से डराने लगे हैं। यहां तो स्थिति बेहद खराब होकर रेड जोन में पहुंच चुकी है। रविवार को बठिडा में एक्यूआइ 321, लुधियाना में 276, कुरुक्षेत्र 334, नई दिल्ली 349 दर्ज किया गया। यह बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है। अगले सप्ताह तक चंडीगढ़ में भी यही हालात हो सकते हैं। पंजाब और हरियाणा के शहरों में जमकर पराली जल रही है। रोक के बावजूद रोजाना सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। प्रदूषण का एक्यूआइ मानक
0-50 अच्छा
51-100 संतोषजनक
101-200 मॉडरेट
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 बेहद ज्यादा खराब