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चंडीगढ़ के इन दो शिक्षकों की संक्रमितों के घर खाना पहुंचाने की लगी ड्यूटी, खुद को कोरोना से ऐसे बचाया

चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में कार्यरत्त शिक्षक रमन कंबोज और रमेश चंद ऐसे दो शख्स हैं जिनकी इस संकट की घड़ी में कोरोना मरीजों के घर तक खाना पहुंचाने की ड्यूटी लगी थी। राहत की बात है कि इन्होंने संक्रमण को अपने नजदीक नहीं आने दिया।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 04:46 PM (IST)
चंडीगढ़ के इन दो शिक्षकों की संक्रमितों के घर खाना पहुंचाने की लगी ड्यूटी, खुद को कोरोना से ऐसे बचाया
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के टीचर रमन कंबोज और रमेश चंद।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है सावधानी और सतर्कता। सावधानी में सबसे अहम है हमारी फिजिकल एक्टीविटी और पौष्टक खानपान। यह कहना है कोरोना काल में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापक रमन कंबोज और रमेश चंद का।

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टीचर रमन और रमेश अप्रैल 2020 से कोरोना महामारी के बीच लगातार सेवाएं दे रहे हैं लेकिन राहत की बात है कि दोनों में से किसी को कोरोना नहीं हुआ और उम्मीद है कि वह आगे भी संक्रमण से बचे रहें। दोनों ही अध्यापकों ने वर्ष 2020 में सेक्टर-26 स्थित बापूधाम कॉलोनी में हुए कोरोना कहर के बीच लगातार ड्यूटी दी और वर्तमान में कोरोना हेल्पलाइन पर काम कर रहे हैं। 

खुद को फिट रखने के लिए रोजाना करते हैं साइकिलिंग

गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-26 के अध्यापक रमन कंबोज ने बताया कि जब कोरोना नहीं था तभी वह साइकिलिंग करते थे। कोरोना महामारी के बाद खुद को फिट रखने के लिए काम पर जाने के लिए भी साइकिल को ही अपनाया। रमन एक साल से लगातार रोज 30 से 40 किलोमीटर साइकिल पर ही सफर करते हैं। वहीं, खुद को अंदरुनी मजबूत करने के लिए पौष्टिक खानपान पर ध्यान दिया। जिसका नतीजा यह रहा कि लगातार काम करने के दौरान कभी भी तबीयत खराब हुई। आज तक एक भी बार कोरोना के कोई लक्षण नहीं आए।

खान-पान पर रखा विशेष ध्यान

गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल धनास में कार्यरत अध्यापक रमेश चंद का कहना है कि मेरे खान-पीने का तरीका हमेशा अलग था। मैंने हमेशा मसालेदार व्यंजन से परहेज किया। फास्ट फूड को तो आज तक हाथ नहीं लगाया। तुलसी के साथ हर्बल पौधों को घर और स्कूल में लगाने के साथ इम्यूनिटी बढाने के लिए उनका रूटीन में इस्तेमाल करता हूं। घर में बैठने के बजाए हमेशा खुद को बागवानी में व्यस्त रखता हूं जिससे शारीरिक कसरत भी हो जाती है। उसी का परिणाम है कि वर्ष 2020 में बापूधाम कॉलोनी में ड्यूटी लगी जहां पर मैंने लोगों को राशन उनके घर में जाकर पहुंचाने से लेकर लॉकडाउन के दौरान शहर से घर जा रहे श्रमिकों का कोरोना टेस्ट कराने का भी काम किया लेकिन मैं पूरी तरह से सुरक्षित हूं।


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