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लेबर की कमी के चलते धान की फसल लगाने का काम अधर में लटका

लॉकडाउन के चलते ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों को लौट चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 10:25 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 10:25 PM (IST)
लेबर की कमी के चलते धान की फसल लगाने का काम अधर में लटका
लेबर की कमी के चलते धान की फसल लगाने का काम अधर में लटका

चेतन भगत, कुराली : लॉकडाउन के चलते ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों को लौट चुके हैं। लेबर की कमी के चलते खेतों में धान की फसल की बिजाई का कार्य अधर में लटकने से किसान इस कदर परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं कि मजदूरों को वापिस लाने के लिए किसान अपने निजी खर्च पर सैकड़ों किलोमीटर दूर यूपी एवं बिहार जाकर उन्हें लाने के लिए प्रशासन से इजाजत मांगने का मन बनाए बैठे हैं। निकटवर्ती गांव बनमाजरा के किसान नायब सिंह का कहना है कि किसानों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यूपी एवं बिहार अपने घरों में बैठे मजदूरों से उनकी फोन पर बात होती है। लेबर वर्ग का कहना है कि पंजाब से यूपी, बिहार सहित अन्य राज्यों को प्रवासी मजदूरों को वापिस भेजने के लिए ट्रेन चलाई गई है, पर यहां से पंजाब वापसी के लिए कोई साधन की व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से वो अपने राज्यों में ही फंसे बैठे हैं। वहीं सोतल आदि गांवों के किसान धान की फसल की बिजाई करने के लिए इस कदर परेशानी का सामना कर रहे हैं कि किसान अपने निजी वाहन से अपने खर्च पर करीब 1200 किलोमीटर दूर बिहार एवं यूपी जा कर लेबर वर्ग को वापिस लाने के लिए भी तैयार है। धान की बजाए मक्की की फसल लगाए किसान

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इस संबंधी एग्रीकल्चर विभाग के डॉ. गुरबचन सिंह का कहना था कि लेबर की कमी की वजह से धान की फसल बीजने को तैयार बैठे किसान वर्ग को पेश आ रही परेशानी को वो भली भांति समझते हैं। विभाग किसानों को धान की बिजाई मशीन की सहायता से सीधे तौर पर करने के लिए प्रेरित करने में जुटा है। मशीन से सीधी बिजाई में जहां लेबर की •ारूरत नहीं पड़ती, वहीं पहले की अपेक्षा आधे खर्चे एवं पानी की बचत करते हुए किसान धान की फसल की पैदावार कर सकता है। मक्की की फसल की पैदावार करने का मश्वरा देते हुए बताया कि मक्की के बीज पर सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी की सुविधा भी प्रदान की जाती है और साथ ही पानी की लागत भी धान के मुकाबले काफी कम लगती है। मक्की की उगाई जा सकती है दो फसलें

डॉ. गुरबचन सिंह ने बताया कि किसान को धान के मुकाबले मक्की की फसल को महत्वता देने से ज्यादा फायदा है। मक्की महज तीन महीने में तैयार हो जाती है। ऐसे में यदि किसान वर्ग अप्रैल में गेहूं की फसल की कटाई के बाद मई महीने में ही मक्की की बिजाई करे तो गेहूं की फसल से पहले दो बार मक्की की फसल की पैदावार आसानी से कर फायदा उठा सकता हैं।


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