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ड्रग्स कारोबार के जांच अधिकारियों की रक्षा हमारी जिम्मेदारी : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने पंजाब में नशे के कारोबार की जांच कर रहे अधिकारियों को सरकारी एजेंसियों की गाज से बचाने का आश्वासन दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 12:51 PM (IST)
ड्रग्स कारोबार के जांच अधिकारियों की रक्षा हमारी जिम्मेदारी : हाई कोर्ट
ड्रग्स कारोबार के जांच अधिकारियों की रक्षा हमारी जिम्मेदारी : हाई कोर्ट

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब में नशे के कारोबार की जांच कर रहे अधिकारियों को सरकारी एजेंसियों की गाज से बचाने का आश्वासन दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जांच में शामिल अधिकारियों की रक्षा करना अदालत की जिम्मेदारी है और अदालत इसके लिए हर वक्त मौजूद है। सुनवाई के दौरान ईडी के डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह ने जांच से संबंधित सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश की।

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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस शेखर धवन की खंडपीठ के समक्ष ड्रग्स मामले की सुनवाई के दौरान अदालत की यह टिप्पणी आई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने अदालत को बताया कि जब से बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम ड्रग्स के कारोबार के मामले में उठा तब से निरंजन सिंह को अपने ही विभाग से रोष झेलना पड़ रहा है।

गुप्ता ने प्रवर्तन निदेशालय पर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने निरंजन सिंह को लिखित आदेश देकर अनुपम गुप्ता को उनकी पैरवी से हटाने को कहा। गुप्ता ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय के बड़े अधिकारियों ने निरंजन सिंह को धमकी दी थी कि अगर उन्होने गुप्ता को अपनी पैरवी से नहीं हटाया तो उन्हे ट्रांसफर कर दिया जाएगा। गुप्ता ने कहा कि निरंजन सिंह को ऐसी धमकियां तब दी गईं जब वे अपने पिता की मौत के शोक में थे।

उन्होने निरंजन सिंह द्वारा अदालत को सौंपी गई सीलबंद रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि रिपोर्ट में पेश किए गए तथ्यों के आधार पर उन्होंने पिछली सुनवाई पर मजीठिया को दोबारा जांच के लिए बुलाए जाने की जरूरत जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि सरकार मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गंभीर नहीं है।

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की एडवोकेट रंजना शाही ने कहा कि निरंजन सिंह को एजेंसी द्वारा नियुक्त वकील की सेवाएं लेने के लिए कहा गया था पर बाद में उन्हें अपने ही वकील की सेवाएं लेने की मंजूरी भी दे दी गई थी। आज जांच अधिकारियों को झेलनी पड़ रही बेरुखी का वाक्या थोड़ा और गरमा गया जब ड्रग्स मामले की जांच करने वाली स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) के प्रमुख सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने अदालत में कहा कि वे जांच के संबंध में राज्य से संबंधित कुछ विषय अदालत के ध्यान में लाना चाहते हैं।

एसआइटी प्रमुख द्वारा उनकी बात निजी तौर पर सुने जाने की मांग पर जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें पंजाब के एडवोकेट जनरल के साथ उनके चैंबर में बुला लिया। सुनवाई के दौरान चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया कि एसएसपी राजजीत सिंह के खिलाफ एसटीएफ द्वारा दायर किए गए मामले की जांच कर रही एसआइटी को केंद्र सरकार से सहयोग मिल रहा है।

प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज की जाए : हाईकोर्ट

निरंजन सिंह को जांच पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने विदेशी मामलों के मंत्रालय को आदेश दिए कि पंजाब पुलिस द्वारा दी गई सूची में शामिल लोगो के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज किया जाए।

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