पंजाब में नशा तस्करी: तीन साल में 47 पुलिस कर्मी बर्खास्त, 17 निलंबित
पंजाब में नशा नासूर बन चुका है। नशेे के नेटवर्क पर लगाम न लग पाने के लिए काफी हद तक पुलिस विभाग के अंदर ही छिपे कुछ ऐसे कर्मचारियों को जिम्मेदार माना जाता है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब में नशा नासूर बन चुका है। राज्य में युवाओं में नशेे की डोज इस कदर चढ़ चुकी है कि गई गांव तो इसका असर साफ देखा जा सकता है। इन गांवों में अधिकांश युवा नशे के आदी हैं। कई जगह तो महिलाएं व लड़कियां भी नशे की आदी मिली हैं। पुलिस व स्वयंसेवी संस्थाएं युवाओं को नशे से निकालने के लिए प्रयास कर रही हैं। इस सबसे बावजूद प्रदेश में नशा करने वालों की संख्या व नशा तस्करी कम नहीं हो रही।
पंजाब में कोई दिन ऐसा नहीं जब मीडिया में नशे संबंध कोई खबर न हो। नशे की ओवरडोज से युवाओं की मौत की खबरें भी आती रहती हैं। अब सवाल यह है कि राज्य में नशा आ कहां से रहा है। नशा तस्करी में कई जगह पुलिस की मिलीभगत भी सामने आई है।
पंजाब में नशे के कारोबार में संलिप्त रहे पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए पिछले तीन सालों में 47 पुलिस कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। पंजाब में नशा तस्करी के नेटवर्क पर लगाम न लग पाने के लिए काफी हद तक पुलिस विभाग के अंदर ही छिपे कुछ ऐसे कर्मचारियों को जिम्मेदार माना जाता है, जो तस्करों के साथ मिलकर इस गोरखधंधे को बढ़ावा देते हैं। इनकी वजह से पूरी पुलिस फोर्स बदनाम होती है। पंजाब से सबसे बड़े भोला ड्रग रैकेट में भी पंजाब पुलिस के कर्मचारी की बड़ी भूमिका सामने आई थी।
अप्रैल 2017 से लेकर 2020 तक
- कुल आपराधिक मामले: 114
- विभागीय जांच: 148
- कार्रवाई: 61
- बर्खास्त हुए: 47
- निलंबित: 17
किसी को नहीं बख्शेेंगे
स्पेशल टास्क फोर्स के चीफ एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू का कहना है कि नशे के खिलाफ चल रही मुहिम के दौरान रा'य सरकार की नीति है कि ऐसे सभी तत्वों और तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे।
कितनी संपत्ति जब्त
- 2017: 37 मामले, 18.46 करोड़
- 2018: 37 मामले, 11.37 करोड़
- 2019: 50 मामले, 37.69 करोड़
- 2020: 11 मामले, 1.68 करोड़ (अब तक)
- 20.5 करोड़ रुपये की जायदाद की कुर्की वाले 58 मामले विचाराधीन हैं