Move to Jagran APP

नई तकनीक: बिना ड्राइवर चलेंगे ट्रैक्टर, कंबाइन, पूरा खेत लाइन में जोत देगा, धान ट्रांसप्लांटर खुद करेगा रोपाई

चंडीगढ़ के सेक्टर-17 परेड ग्राउंड में 4 से 7 नवंबर तक सीआइआइ एग्रो एंड फूड टेक्नोलाजी फेयर का आगाज शुरू हुआ है। इस मेले में बिना ड्राइवर वाले ट्रैक्टर को प्रदर्शित कर बदलती खेती के बारे में बताया।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 05 Nov 2022 07:41 AM (IST)Updated: Sat, 05 Nov 2022 07:41 AM (IST)
नई तकनीक: बिना ड्राइवर चलेंगे ट्रैक्टर, कंबाइन, पूरा खेत लाइन में जोत देगा, धान ट्रांसप्लांटर खुद करेगा रोपाई
चंडीगढ़ में चार दिवसीय सीआइआइ एग्रोटेक फेयर में आटो स्टेयरिंग ट्रैक्टर को प्रदर्शित किया गया।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। अभी तक आपने ट्रेन और कार को ही बिना ड्राइवर के चलने की सुनी होगी, लेकिन जल्द ही आप ट्रैक्टर को भी बिना ड्राइवर खेत जोतते देखेंगे। जापान की टापकोन कंपनी का आटो स्टीयरिंग सिस्टम यह करेगा। कंपनी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-17 परेड ग्राउंड में लगे सीआइआइ एग्रो एंड फूड टेक्नोलाजी फेयर में इसे प्रदर्शित कर बदलती खेती के बारे में बताया।

loksabha election banner

आटो स्टीयरिंग सिस्टम को किसी भी एचपी वाले ट्रैक्टर, कंबाइन और धान ट्रांसप्लांटर पर लगाया जा सकता है। इसमें डाटा फीड करने के बाद यह अपने आप खेत में बिल्कुल सटीक चलता है अपने आप आगे अंतिम पड़ाव पर मुड़ेगा। इसमें ड्राइवर को यह सब देखने की जरूरत नहीं है। हालांकि ड्राइवर के बिना ट्रैक्टर चलाने की मंजूरी भारत में नहीं है। इसलिए केवल उसका सीट पर होना जरूरी है। स्टीयरिंग खुद आपरेट होता है।

इसी तरह से धान ट्रांसप्लांट करते समय मशीन एक लाइन में चलेगी। इसे स्प्रेयर और फर्टिलाइजर स्प्रैडर पर भी लगाया जा सकता है। कंपनी इसकी कीमत साढ़े तीन से चार लाख रुपये बताती है। टापकोन के मैनेजर एजी सेल्स देबोब्रता दत्ता ने बताया कि कंपनी ऐसी कई टेक्नोलाजी लाई है जो खर्च को कम करेगी और उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी।

फसल सेंसर जरूरत के हिसाब से करेंगे काम

फसल में कहां कितने खाद की जरूरत है और कहां स्प्रे ज्यादा करनी है और कहां ज्यादा यह सभी आटो सिस्टम से पता चल जाएगा। देबोब्रता दत्ता ने बताया कि फसल सेंसर ट्रैक्टर के ऊपर लग जाते हैं। जो सेटेलाइट के माध्यम से काम करते हैं। यह फसल का निरीक्षण कर पता लगाते हैं कि कहां कितना खाद और स्प्रे होना है। जहां पौधों को जरूरत नहीं है वहां नोजल बंद हो जाती है। इससे यूरिया खाद जैसे फर्टिलाइजर, बीज और पेस्टीसाइड का स्प्रे भी किया जा सकता है। विदेशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। वर्ष 2023 में पंजाब हरियाणा जैसे राज्यों में कंपनी इसे लांच कर रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.