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    चंडीगढ़ में DRDO का बड़ा कारनामा, फाइटर एस्केप सिस्टम का किया सफल परीक्षण

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 10:22 PM (IST)

    चंडीगढ़ में DRDO ने फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट किया, जिसकी गति 800 किमी/घंटा थी। इस परीक्षण में कैनोपी सेवरेंस, इजे ...और पढ़ें

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    DRDO ने चंडीगढ़ में फाइटर एस्केप सिस्टम का सफल टेस्ट किया है।

    एएनआई, चंडीगढ़। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने मंगलवार को चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज (RTRS) फैसिलिटी में एक फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया। टेस्ट 800 km/h की कंट्रोल्ड वेलोसिटी तक पहुंचा और कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और फुल एयरक्रू रिकवरी को वैलिडेट किया।

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    DRDO ने यह टेस्ट एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर किया। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि यह कॉम्प्लेक्स डायनामिक टेस्ट भारत को एडवांस्ड इन-हाउस एस्केप सिस्टम टेस्टिंग कैपेबिलिटी वाले देशों के एलीट क्लब में शामिल करता है।

    डायनामिक इजेक्शन टेस्ट, नेट टेस्ट या जीरो-जीरो टेस्ट जैसे स्टैटिक टेस्ट से ज्यादा मुश्किल होते हैं, जिसमें पायलट को बिना हिले-डुले ग्राउंड जीरो से इजेक्ट करना होता है। इस बीच, डायनामिक इजेक्शन टेस्ट ज्यादा मुश्किल होते हैं क्योंकि वे एयरक्राफ्ट की इजेक्शन सीट और क्रू एस्केप सिस्टम की असल दुनिया की परफॉर्मेंस को जांचते हैं।

    इजेक्शन सीट और कैनोपी-सेवरेंस सिस्टम की परफॉर्मेंस का एक अहम पैमाना इन्हें माना जाता है। कैनोपी सेवरेंस सिस्टम (CSS) एयरक्राफ्ट में पायलट के एस्केप एड सिस्टम का हिस्सा है। इसे कॉम्बैट एयरक्राफ्ट में इन-फ्लाइट और ऑन-ग्राउंड इमरजेंसी के दौरान पायलट को कम से कम समय में बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस टेस्ट के लिए, सिस्टम लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस की फोरबॉडी ले जा रहा है।

    MoD के बयान में कहा गया कि LCA एयरक्राफ्ट फोरबॉडी वाले एक डुअल-स्लेज सिस्टम को कई सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर्स की फेज्ड फायरिंग के ज़रिए ठीक कंट्रोल्ड वेलोसिटी पर चलाया गया।" कैनोपी फ्रेजिलाइजेशन पैटर्न, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और पूरे एयरक्रू रिकवरी प्रोसेस को एक इंस्ट्रूमेंटेड एंथ्रोपोमॉर्फिक टेस्ट डमी का इस्तेमाल करके सिमुलेट किया गया, जिसने इजेक्टेड पायलटों द्वारा अनुभव किए जाने वाले क्रिटिकल लोड, मोमेंट्स और एक्सेलरेशन को रिकॉर्ड किया।

    पूरे सीक्वेंस को ऑनबोर्ड और ग्राउंड-बेस्ड इमेजिंग सिस्टम से कैप्चर किया गया। बयान में आगे कहा गया कि इस टेस्ट को इंडियन एयर फोर्स (IAF) और इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन एंड सर्टिफिकेशन के अधिकारियों ने देखा। इस सफलता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, IAF, ADA, HAL और इंडस्ट्री पार्टनर्स को बधाई दी।

    उन्होंने इस टेस्ट को भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में स्वदेशी डिफेंस क्षमता के लिए एक अहम मील का पत्थर बताया। डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस R&D के सेक्रेटरी और DRDO के चेयरमैन समीर वी कामत ने भी इसमें शामिल टीम की तारीफ की।

    X शेयर किए पोस्ट में रक्षा मंत्री ने कहा कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) फ़ैसिलिटी में 800 km/h की सटीक कंट्रोल्ड वेलोसिटी पर फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया है,जिसमें कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और पूरी एयरक्रू-रिकवरी को वैलिडेट किया गया है।

    DRDO ने 2014 में TBRL में चार किलोमीटर का रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज पेंटा रेल सुपरसोनिक ट्रैक बनाया था। यह नेशनल टेस्ट फैसिलिटी दुनिया में अपनी तरह की कुछ ही फैसिलिटी में से एक है। यह कई जरूरी सिस्टम की टेस्टिंग में मदद करता है, जिसमें ISRO के मानव मिशन के लिए पेलोड, मिसाइल और एयरक्राफ्ट के लिए नेविगेशन सिस्टम, एडवांस्ड वॉरहेड के लिए प्रॉक्सिमिटी फ्यूज, आर्मामेंट सिस्टम के लिए फ्यूज, पेलोड डिलीवरी के लिए पैराशूट और एयरक्राफ्ट के लिए अरेस्टर सिस्टम शामिल हैं। ISRO ने TBRL फैसिलिटी का इस्तेमाल गगनयान पायलट और क्लस्टर कॉन्फिगरेशन में एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट के रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज डिप्लॉयमेंट टेस्ट के लिए भी किया है।