स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ का ड्रेनेज सिस्टम खोखला, फंड नहीं मिलने से बारिश में हालात हाेते हैं बदतर
पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण ही सुखना लेक के फ्लड गेट खोलने पड़े थे क्योंकि शहर का ड्रेनेज सिस्टम इस झमाझम बारिश के पानी की निकासी करवाने में पूरी तरह से असफल रहा था।
चंडीगढ़, राजेश ढल्ल। सिटी ब्यूटीफुल की सुंदरता इसकी साफ सफाई और हरियाली से बनती है, लेकिन शहर का अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम और सीवरेज पाइप लाइन इस समय जर्जर हो चुकी हैं। इनकी मियाद खत्म हो चुकी है। जिसका खामियाजा मानसून के दौरान होने वाली झमाझम बारिश के दौरान शहरवासियों को जलभराव के तौर पर झेलना पड़ता है। 100 एमएम से ज्यादा बारिश होने पर शहर के चौराहें, सड़कें पानी में डूब जाते हैं। लो लाइन एरिया के रिहायशी इलाकों में घरों के अंदर पानी घुस जाता है।
पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण ही सुखना लेक के फ्लड गेट खोलने पड़े थे, क्योंकि शहर का ड्रेनेज सिस्टम इस झमाझम बारिश के पानी की निकासी करवाने में पूरी तरह से असफल रहा था। पाइपों की खस्ता हालत होने के कारण ही गांव और कॉलोनियों में हर दिन सीवरेज ओवरफ्लो रहता है। हालांकि पूरे शहर का सीवरेज सिस्टम ढका हुआ है और बारिश के पानी की निकासी के लिए शहर में 30 हजार रोड-गलियां हैं। शहर में जो सीवरेज का सिस्टम है, वह अंडरग्राउंड ईंटों (ब्रिकवाल) में बना हुआ है, जोकि जगह-जगह से लीक भी हो रहा है।
फंड न होने के कारण बदला नहीं जा रहा सिस्टम
जनस्वास्थ्य विभाग भी मानता है कि ड्रेनेज सिस्टम की पाइपें बदलने की जरूरत है, लेकिन इसके बावजूद सिस्टम को बदलने का कोई प्रपोजल नहीं बनाया जा रहा है। इसका बड़ा कारण यह है कि पाइपों को बदलने के लिए प्रशासन और नगर निगम के पास फंड नहीं है। ऐसे में जलभराव होने पर नगर निगम के अधिकारियों के हाथ खड़े हो जाते हैं। 60 साल पुराने इस सिस्टम के तहत अंडरग्राउंड 900 किमी की पाइपें डली हुई हैं, जिनकी हालत भी खस्ता हो गई है। इस काम के लिए पूरे शहर को खोदने के अलावा अरबों रुपये की जरूरत है। जलभराव में शहर में जाम भी लोगों के लिए सिरदर्द बनता है।
20 से 25 मिमी बारिश ही झेल पाता है ड्रेनेज सिस्टम
असल में ली-कार्बूजिए ने शहर की प्लानिंग तीन लाख लोगों के लिए की थी। लेकिन अब जनसंख्या 12 लाख तक पहुंच गई है। शहर की 30 हजार रोड-गलियां एक घंटे में सिर्फ 20 से 25 मिमी बारिश को ही झेल पाती हैं। जिस कारण इससे ज्यादा बारिश होने पर शहर की सड़कें तालाब में तबदील हो जाती हैं। ऐसे में यह दिक्कत आगे भी शहरवासियों को झेलनी पड़ेगी। चार साल पहले इस प्रपोजल के लिए केंद्र सरकार से राशि भी प्रशासन ने मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार इतना फंड देने के लिए तैयार नहीं है।
कमिश्नर केके यादव का कहना है कि शहर के ड्रेनेज सिस्टम को बदलने की जरूरत है, लेकिन नगर निगम के पास अभी इस प्रोजेक्ट के लिए इतना फंड नहीं है। बारिश होने के बाद जमा हुआ पानी अभी निकल जाता है। अभी जो रोड-गलियां हैं, वह एक साथ 20 से 25 मिमी बारिश झेल सकती हैं। इससे ज्यादा बारिश होने पर ही पानी जमा होता है।
एडवाइजर कमेटी में भी उठ चुकी है मांग
वाटर सप्लाई कमेटी के पूर्व चेयरमैन एवं पूर्व मेयर अरुण सूद का कहना है कि शहर के ड्रेनेज सिस्टम के तहत पाइपों को बदलने की जरूरत है। उन्होंने यह मामला प्रशासक की एडवाइजर कमेटी के तहत गठित सब कमेटी में भी उठाया था। इसके लिए फंड का प्रबंधन करवाने के लिए वे सांसद से बात करेंगे। स्मार्ट सिटी के तहत फंड पड़ा है, ऐसे में यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी को ट्रांसफर कर देना चाहिए।
दक्षिणी सेक्टर उत्तरी के मुकाबले में 100 फुट नीचे हैं, इसके अलावा जो तीन एन चौ हैं, उन्हें भी बड़े करने की जरूरत है ताकि जमा पानी की निकासी इनमें जल्द से जल्द हो सके। जनसंख्या 12 लाख पेयजल सप्लाई 109 एमजीडी कितने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं 5 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 80 एमजीडी कितना सीवरेज का पानी निकलता है 82 एमजीडी कितना टर्शरी वाटर बनता है 10 एमजीडी सीवरेज नेटवर्क 900 किमी