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दिव्यांग महिला बना रही बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट

वक्त की मार के सताए व्यक्ति के लिए जब एक दरवाजा बंद होता है तो भगवान उनके लिए दूसरे द्वार खोल देता है। इस कहावत की मिसाल मालती (33) नाम की लावारिस व दिव्यांग महिला है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 06:30 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:30 PM (IST)
दिव्यांग महिला बना रही बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट
दिव्यांग महिला बना रही बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट

चेतन भगत, कुराली : वक्त की मार के सताए व्यक्ति के लिए जब एक दरवाजा बंद होता है तो भगवान उनके लिए दूसरे द्वार खोल देता है। इस कहावत की मिसाल मालती (33) नाम की लावारिस व दिव्यांग महिला है। मालती को पुलिस ने लगभग दो साल पहले दयनीय हालत में स्थानीय समाजसेवी संस्था प्रभ आसरा में दाखिल करवाया था। आज यह महिला संस्था में बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट बना अपने हुनर को प्रदर्शित कर रही है। महिला के बनाए गए सामान को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। संस्था ने करवाया मालती का इलाज प्रभ आसरा संस्था के मुख्य संचालक शमशेर सिंह एवं राजिदर कौर ने बताया कि मालती अप्रैल 2017 में गांव स्वाड़ा के पास गुरुघर में दयनीय हालत में मिली थी। एक टांग से दिव्यांग मालती को मजात पुलिस ने संस्था में भर्ती करवाया था। संस्था द्वारा अस्पताल में उसका ट्रीटमेंट करवाया गया और साइकेट्रिक्ट डॉक्टर से भी उसका इलाज जारी रखा गया। करीब एक साल के बाद उसकी हालत में काफी सुधार आया।

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मालती की कार्यकुशलता देख सभी रह गए दंग शमशेर सिंह ने बताया कि करीब एक वर्ष बाद मालती की मानसिक एवं शारीरिक हालत में काफी सुधार आने पर उसे संस्था द्वारा चलाई जा रही वोकेशनल वर्कशॉप में लाया गया। जहां उसने कुछ न कुछ बनाना शुरू किया। कुछ ही दिनों में उसकी कार्यकुशलता को देख सभी दंग रह गए। मालती को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट बनाने में कुदरती दक्षता हासिल है। मालती पुराने एवं फटे कपड़ों, स्वेटर्स, प्लास्टिक के फटे थैले आदि वेस्ट से टोकरी, कंटेनर्स एवं शोपीस बनाने में माहिर हो चुकी है।

संस्था के विजिटर्स खरीदते हैं सामान राजिदर कौर के अनुसार वोकेशनल वर्कशॉप में मालती एवं उसके जैसे कई अन्य लावारिस लोगों द्वारा बनाए गए विभिन्न तरह के सामान को संस्था के स्टोर में प्रदर्शित किया जाता है। संस्था की विजिट के दौरान लोग इनके बनाए सामान को खरीदते हैं वहीं इन सामानों को काफी सराहा भी जाता है। पहचान बता पाने में असमर्थ है मालती संस्था के संचालक शमशेर सिंह एवं राजिदर कौर ने बताया कि मालती की हालत में हालांकि बहुत सुधार आ चुका है। लेकिन उसे अपने अतीत के बारे में कुछ याद नहीं है। भाषा की दिक्कत एवं साफ तौर पर न बोल पाने के चलते वह अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पा रही। इस कारण उसके परिजनों को खोजकर उन तक पहुंचने में समस्या आ रही है। उन्होंने लोगों से मालती को पहचाने या उसके बारे में कोई जानकारी रखने वालों से संस्था में संपर्क करने की अपील की।


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