पंजाब कांग्रेस में फिर कलह, सिद्धू के बाद अब प्रताप बाजवा और कैप्टन अमरिंदर में ठनी
पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की पूर्व प्रदेश प्रधान प्रताप सिंह बाजवा से ठन गई है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर कलह पैदा हो गई है। नवजाेत सिंह सिद्धू के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्य सभा सदस्य व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा में जुबानी जंग छिड़ गई है। दोनों नेताओं में पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को लेकर बयानबाजी चल रही है। सिद्धू का भी कैप्टन से इस मुद्दे पर विवाद शुरू हुआ था।
बादल को लेकर दोनों नेताओं में जंग, उपचुनाव में बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किल
बादल के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने और श्री गुरुग्रंथ साहिब से बेदअदबी के मामले को लेकर बाजवा ने कैप्टन अमरिंदर सरकार पर सवाल उठासया है। बाजवा ने कहा कि पंजाब कांग्रेस का प्रधान रहते हुए अपने कार्यकाल में बादलों की ड्रग्स में शमूलियत, भ्रष्टाचार और रेत माफिया के साथ मिलीभगत के कई मामले उजागर किए पर किसी ने अंगुली नहीं उठाई लेकिन कैप्टन के बारे में ऐसा कोई नहीं कह सकता।
बाजवा के आरोपों से साफ जाहिर है कि चारों सीटों के विधानसभा उपचुनाव में इसका खासा असर रहेगा। बेअदबी के मुद्दे पर कांग्रेस घिर सकती है और उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैैं। उसे बेअदबी मामलों को लेकर अकाली दल को घेरने का मौका नहीं मिल पाएगा।
दो दिन पहले एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने प्रकाश सिंह बादल के बारे में कहा था कि उनकी श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कोई शमूलियत नहीं है। बाद में उन्होंने खंडन भी किया लेकिन बाजवा व विपक्ष के तमाम नेताओं ने कैप्टन के इस बयान को लेकर उन्हें घेरा। इसके बाद कैप्टन ने प्रताप सिंह बाजवा के खिलाफ काफी तीखी टिप्पणी कर दी।
बाजवा ने कहा, प्रदेश प्रधान रहते बादल की ड्रग्स में शमूलियत उजागर की
बाजवा ने कैप्टन के इंटरव्यू में कही बातों को लेकर उनसे कई सवाल किए। उन्होंने कहा कि सीबीआइ द्वारा दायर जांच की क्लोजर रिपोर्ट मांगने की बजाए कैप्टन सरकार को जांच पर आपत्ति जताई जानी चाहिए थी। बाजवा ने कहा कि पंजाब सरकार ने जांच के संबंध में सीबीआइ से कभी कोई सवाल करने की जहमत नहीं उठाई और यह बात सीबीआइ ने ट्रायल कोर्ट में भी कही।
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बाजवा ने कहा कि उन्होंने पहले भी कैप्टन से सवाल पूछे थे लेकिन कैप्टन ने उनके जवाब नहीं दिए। उन्हें इन सवालों से बचने की बजाए इनके जवाब देने चाहिए। बाजवा ने पूछा कि किस तारीख को पंजाब सरकार ने सीबीआइ से बेअदबी के मामलों की जांच की फाइल मांगी। सीबीआइ ने कहा है कि सरकर ने हमसे कभी जांच की फाइल नहीं मांगी, इसलिए कैप्टन का यह दावा झूठा है कि अब इस मामले की जांच पंजाब सरकार की एसआइटी कर रही है। यदि प्रबोध कुमार जांच टीम के प्रमुख हैं तो उन्होंने 29 जुलाई को सीबीआइ को कुछ पहलुओं की फिर जांच करने को क्यों कहा?
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बाजवा के कैप्टन अमरिंदर से सवाल
-क्या प्रबोध कुमार ने सीबीआइ को 29 जुलाई को लिखे पत्र से पहले मुख्यमंत्री से इजाजत ली थी? एसआइटी ने बेअदबी मामले की फाइल क्यों नहीं ली?
-क्या मुख्यमंत्री को इस बारे में गुमराह किया गया कि मामले की जांच एसआइटी कर रही, सीबीआइ नहीं या फिर कैप्टन को वास्तविकता पता थी लेकिन वह लोगों को गुमराह करते रहे?
-क्या एडवोकेट जनरल इस बात से अवगत थे कि सीबीआइ जांच कर रही है, एसआइटी नहीं?
-क्या एडवोकेट जनरल ने ट्रायल कोर्ट में दायर की गई अर्जी को तैयार करवाया था जिसमें वह बातें शामिल ही नहीं की गई थीं जो सरकारी वकील ने अदालत के सामने कहीं?
-सरकार कह रही है कि एसआइटी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों की जांच कर रही है और एसआइटी प्रमुख सीबीआइ को कह रहे हैं कि वह जांच करे, सच क्या है?
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