अब जाम में नहीं फंसेगी एंबुलेंस, मध्य-दक्षिण जैसे सभी मुख्य मार्गो पर बनेगी लेन
शहर में एंबुलेंस के लिए अलग से लेन बनाई जाएगी। इसकी शुरुआत सबसे पहले वी-2 रोड से होगी। इसके बाद दूसरी चौड़ी सड़कों को भी चिन्हित किया जाएगा। यह प्रस्ताव यूटी स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल की मीटिंग में लाया जा रहा है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
शहर में एंबुलेंस के लिए अलग से लेन बनाई जाएगी। इसकी शुरुआत सबसे पहले वी-2 रोड से होगी। इसके बाद दूसरी चौड़ी सड़कों को भी चिन्हित किया जाएगा। यह प्रस्ताव यूटी स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल की मीटिंग में लाया जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार सभी वी-2 रोड पर एंबुलेंस के लिए अलग लेन बनाई जाएगी। वी-2 में नाम वाले सभी मुख्य मार्ग जैसे मध्य, दक्षिण, जन, हिमाचल, मार्ग, सरोवर पाथ, उद्योग पाथ। इन सभी मार्गो पर एंबुलेंस के लिए अलग से लाइन बनाई जाएगी। अधिकतर एंबुलेंस का आना-जाना मध्य और दक्षिण मार्ग से रहता है, लेकिन इन दोनों ही मार्गो पर ट्रैफिक अधिक होने के कारण जाम की स्थिति रहती है। सुबह और शाम को पीक ऑवर्स में तो स्थिति और भी खराब रहती है। उस कारण रोजाना एंबुलेंस भी जाम में फंसती रहती है। ट्रैफिक सिग्नल पर भी पांच से 10 मिनट तक अमूमन एंबुलेंस को लग जाते हैं, जिससे कई मरीजों को इलाज मिलने में देरी हो जाती है। इसी को देखते हुए पहली बार स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल की मीटिंग में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। रोजाना 1000 से अधिक एंबुलेंस की आवाजाही
पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 जैसे बड़े हेल्थ इंस्टीट्यूट होने से यहां ट्राइसिटी ही नहीं, दूर दराज के मरीज भी स्वास्थ्य लाभ के लिए आते हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर के साथ उत्तराखंड और बिहार के मरीज भी आते हैं। अलग-अलग जगहों से रोजाना 1 हजार से अधिक एंबुलेंस चंडीगढ़ में दाखिल होती हैं। एंबुलेंस में डैशबोर्ड कैमरा
एंबुलेंस के अंदर डैशबोर्ड कैमरा इंस्टॉल करना भी जरूरी होगा। इसका प्रस्ताव भी मीटिंग में लाया जा रहा है। इस डैशबोर्ड से इमरजेंसी में बैड की उपलब्धता और स्पेशलिटी बेड, क्षमता और ओक्यूपेंसी टेबल दिखेगी। उससे ड्राइवर यह अंदाजा लगा सकता है कि मरीज को किस अस्पताल में पहुंचाना उचित होगा। स्कूल चिल्ड्रंस के लिए सीट बेल्ट
स्कूल बसों में फंर्ट फेसिंग रियर सीटों पर बैठने वाले बच्चों का सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करना बस चालक और अटेंडेंट का काम होगा। सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स-1989 के रूल 138 के तहत इसे अनिवार्य किया जा रहा है। अकसर स्कूल बसों में च्च्चों को ड्राइवर के साथ लगती कंडक्टर सीटों पर बैठा कर ले जाया जाता है। दुर्घटना की स्थिति में बच्चे संभल नहीं पाते। अगर कोई स्कूल बस कहीं रुकती है तो रेड क्लॉजर 'स्टॉप' साइन तुरंत दिखाना होगा, जिससे बस के पीछे की ट्रैफिक रुक सके।