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फास्ट वे केबल कंपनी पर कार्रवाई के मुद्दे पर कैप्टन व सिद्धू में मतभेद

फास्ट वे केबल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के मामले में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह में मतभेद उभर आए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 03 Jul 2017 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jul 2017 08:55 AM (IST)
फास्ट वे केबल कंपनी पर कार्रवाई के मुद्दे पर कैप्टन व सिद्धू में मतभेद
फास्ट वे केबल कंपनी पर कार्रवाई के मुद्दे पर कैप्टन व सिद्धू में मतभेद

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं। सिद्धू फास्ट वे केबल कंपनी पर कार्रवाई करने को लेकर तत्पर हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में विभाग के सेक्रेटरी से जानकारी मांगी है। सिद्धू ने विधानसभा के बजट सत्र में बयान भी दिया था कि फास्ट वे केबल कंपनी के जरिए पिछली सरकार के कार्यकाल में केबल माफिया ने सरकार को 680 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

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सिद्धू कहते हैं कि 270 जूनियर इंजीनियरों के साथ मैंने बैठक की। सभी का यही कहना था कि फास्ट वे कंपनी ने सड़क खोदने, तार डालने आदि की कोई मंजूरी नहीं ली। केवल एक स्थान जीरकपुर में यह मंजूरी ली गई है। सिद्धू कहते हैं कि स्थानीय सरकार नई पॉलिसी लेकर आ रही है। इसके तहत तार डालने को लेकर मंजूरी नहीं लेने वाले केबल ऑपरेटरों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। जल्द ही यह पॉलिसी मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेज दी जाएगी।

सिद्धू से जब पूछा गया कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने सेक्रेटरी से जानकारी मांगी है और अगर कुछ गलत हुआ होगा तब कार्रवाई होगी, तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पास पूरी जानकारी नहीं होगी। इस संबंध में उन्हें सारी जानकारी दी जाएगी। 23 जून को जब सिद्धू ने फास्ट वे कंपनी पर 680 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप लगाया था तब मुख्यमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे। बाद में सिद्धू ने बकायदा इसकी जांच के आदेश भी जारी किए थे। सिद्धू ने जब से निकाय विभाग संभाला है तब से बादल परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उल्लेखनीय है कि फास्ट वे केबल कंपनी पर बादल सरकार के समय भी आरोप लगते रहे हैं। कंपनी के मालिकों की बादल परिवार से नजदीकी बताई जाती है।

कांग्रेस भवन में बातचीत करते हुए सिद्धू ने कहा कि पॉलिसी बाकायदा ऐसी आएगी कि आगे से कोई भी स्थानीय सरकार की संपत्ति का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। एक सवाल के जवाब में सिद्धू कहते हैं- 'पॉलिसी तैयार करके मुख्यमंत्री को दे दी जाएगी। वह सरकार के मुखिया हैं। इसके बाद उन्होंने फैसला लेना होगा।'

उल्लेखनीय है कि स्थानीय निकाय विभाग संभालने के बाद सिद्धू ने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि हाउसिंग डेवलपमेंट डिपार्टमेंट का जिम्मा भी उन्हें दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका निकाय विभाग से सीधा वास्ता है लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। अहम बात यह भी है कि विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले सिद्धू की कांग्र्रेस में जब एंट्री हुई थी तब प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष होने के बावजूद कैप्टन इस मौके पर मौजूद नहीं थे।

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