डीजल बस अब पांच साल की मेहमान, 2027 के बाद नहीं दिखेंगी
शहर की सड़कों पर काला धुआं उगलती डीजल बसों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आने वाले कुछ साल बाद यह बसें चंडीगढ़ की सड़कों पर नहीं दिखेंगी। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ट्राईसिटी में सभी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक से बदलने का प्लान तैयार कर चुका है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
शहर की सड़कों पर काला धुआं उगलती डीजल बसों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आने वाले कुछ साल बाद यह बसें चंडीगढ़ की सड़कों पर नहीं दिखेंगी। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ट्राईसिटी में सभी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक से बदलने का प्लान तैयार कर चुका है। गवर्नमेंट आफ इंडिया के ग्रीन मोबिलिटी पहल के तहत वर्ष 2027-28 तक सभी बस इलेक्ट्रिक हो जाएंगी। मंगलवार को इसकी शुरुआत में प्रशासन एक कदम और आगे बढ़ा। चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिग (सीटीयू) को नई 40 इलेक्ट्रिक बसों में से पहली बस मिल गई है। वोल्वो आयशर कंपनी की यह बसें चलाने के लिए सीटीयू ने इस कंपनी से दस साल का करार किया है। जिसके तहत दस साल में कंपनी को 115 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। मंगलवार को प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने इन बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रशासक ने खुद बस के अंदर चढ़कर इसकी खूबियों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों से चंडीगढ़ के पर्यावरण को हानि नहीं होगी। जानिए इन बसों की खासियत
- एक बार चार्ज होने पर 250 किलोमीटर तक चलेगी
- हवा के प्रेशर से नियंत्रित पैसेंजर डोर, एयर कंडीशनिग सिस्टम
- सीट की प्रत्येक लाइन में मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट
- 31 पैसेंजर के बैठने के लिए सीट, आठ यात्री खड़े हो सकते हैं
- एयर सस्पेंशन आगे और पीछे
इमरजेंसी के लिए पेनिक बटन
- पैसेंजर इनफारमेशन स्क्रीन आगे पीछे और बीच में
- आटोमेटिक लोकेशन जीपीएस के साथ
- बस ड्राइवर के कनसोल में भी
फायर डिटेक्शन एंड सस्पेंशन सिस्टम
20 दिन का ट्रायल रन
इन बसों को रूट पर उतारने से पहले 20 दिन का ट्रायल रन होगा। अभी इन बसों को ट्रायल के दौरान मलोया से मनीमाजरा के बीच पीजीआइ होते हुए चलाया जाएगा। अगस्त के दूसरे सप्ताह में यह बस जनरल पब्लिक के लिए चलने लगेगी। 19 बसों का दूसरा लाट 20 जुलाई तक चंडीगढ़ पहुंच जाएगा। बाकी 20 बस 20 अगस्त तक पहुंचेंगी। टिकट काटने के लिए सीटीयू का कंडक्टर
इन बसों को सीटीयू किलोमीटर स्कीम के कांट्रेक्ट बेस पर चलवा रहा है। वोल्वो आयशर के साथ दस साल का करार किया गया है। करीब 45 रुपये प्रति किलोमीटर खर्च इन बसों को चलाने में सीटीयू का आएगा। दस साल के लिए कंपनी के साथ 115 करोड़ रुपये का करार किया गया है। इससे पहले अशोक लेलैंड कंपनी की 40 बस 154 करोड़ रुपये के करार में दस साल के लिए चल रही हैं। नई बसों में प्रशासन के 39 करोड़ रुपये बचेंगे। बस में कंडक्टर सीटीयू का होगा जो टिकट काटेगा और रेवेन्यू जुटाएगा। इसके अलावा बस ड्राइवर, आपरेशन और मेंटेनेंस का काम कंपनी ही देखेगी। बसों की चार्जिंग के लिए आइएसबीटी-17 और 43 पर कंपनी चार्जिंग प्वाइंट बनाएगी। सबसे अच्छी बात यह है कि इन बसों में किराया पहले से चल रही बसों जितना ही रहेगा।