रोजाना 12 मौतों के बावजूद 16 करोड़ के लालच में फंसी सरकार
सड़क हादसों में रोज मौत हो जाने के बाद भी सरकार करोड़ों रुपये बचाने के लालच में फंसी हुई है। रोड सेफ्टी कौंसिल के गठन के बाद भी 16 करोड़ रुपये की राशि कौंसिल को जारी नहीं की गई है।
चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। सड़क दुर्घटनाओं में हजारों मौतों के बाद भी सरकार करोड़ों रुपये बचाने के लालच में फंसी हुई है। अभी तक सरकार ने रोड सेफ्टी कौंसिल के गठन के बाद भी 16 करोड़ रुपये की धनराशि कौंसिल को जारी नहीं की है। यह धनराशि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान के बाद जमा होने वाली धनराशि में से कौंसिल को जारी की जानी थी। दो साल से कौंसिल इस धनराशि का इंतजार कर रही है।
अभी तक जारी नहीं किए रोड सेफ्टी के 16 करोड़, पिछली सरकार भी नहीं हुई थी गंभीर
पिछली सरकार के कार्यकाल में अदालत के आदेशों के बाद रोड सेफ्टी कौंसिल का गठन तो कर दिया गया था, लेकिन सरकार ने कौंसिल के कामों को रेगुलर करने के लिए कोई बजट ही नहीं रखा था। इसके बाद तय किया गया था कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के होने वाले चालानों से जो धनराशि एकत्र होगी उसका 40 फीसदी हिस्सा कौंसिल को जारी किया जाएगा।
इस धनराशि का इस्तेमाल कौंसिल सड़क सुरक्षा के लिए रोड मार्किंग से लेकर अन्य उपायों व उपकरणों पर खर्च करेगी। पिछली सरकार को इस बाबत यातायात विभाग व कौंसिल की तरफ से कई बार निवेदन करने के बाद भी धनराशि जारी नहीं की गई थी।
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बीते साल कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद एक बार से इस दिशा में कौंसिल की तरफ से धनराशि लेने के प्रयास किए गए तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तत्काल धनराशि जारी करने का भरोसा दिया था। उसके बाद से अभी तक मामला भरोसे, आदेशों व निवेदनों में लटका हुआ है और रोजाना होने वाले 13 से ज्यादा सड़क हादसों में 4278 लोगों को जान गवा चुके हैं।
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सड़क हादसों को कम करने को हुआ रोड सेफ्टी कौंसिल का गठन
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के जरूरी उपाए के लिए अदालत के आदेशों पर रोड सेफ्टी कौंसिल का गठन किया गया था। कौंसिल का पूरा फोकस सड़क दुर्घटनाओं को कम करने पर तय किया गया था। इसके लिए कौंसिल की तरफ से सूबे की सड़कों की स्टडी कर जहां-जहां पर ज्यादा सड़क हादसे होते हैं, उक्त स्थानों को चिन्हित करने के आलावा सभी संबंधित विभागों के साथ तालमेल करने का लक्ष्य रखा गया था। कौंसिल के काम में कोई रुकावट न आने पाए इसके लिए यातायात पुलिस के अलावा मुख्यमंत्री या सरकार के किसी नुमाइंदे को भी कौंसिल में रखे जाने का प्रावधान किया गया था।
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रोड सेफ्टी गंभीर मुद्दा है: एडीजीपी
एडीजीपी (ट्रैफिक) शरद सत्य चौहान का कहना है कि रोड सेफ्टी गंभीर मुद्दा है। बीते दो सालों से इस दिशा में विभाग की तरफ से काफी प्रयास किए जा रहे हैं। यह केवल यातायात पुलिस से जुड़ा मुद्दा नहीं हैं, बल्कि एक दर्जन से ज्यादा विभागों व लोगों की जागरुकता से जुड़ा मुद्दा है। मौजूदा सरकार भी रोड सेफ्टी को लेकर गंभीर है।
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उन्हाेंने कहा कि ज्यादा जिम्मेदारी नगर निगम, नगर कौंसिल व पीडब्लूडी तथा नगर पंचायतों सहित संबंधित अन्य विभागों की है, लेकिन यातायात पुलिस अपनी तरफ से कोशिशें कर रही है। सभी को एकजुट होकर इस दिशा में प्रयास करने होंगे। अभी तक रोड सेफ्टी कौंसिल को मिलने वाली धनराशि जारी नहीं हुई है। उम्मीद है कि जल्द ही जारी हो जाएगी।
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बीते चार सालों में हुए सड़ हादसों का ब्योरा
साल सड़क हादसे मौत
2014 6391 4931
2015 6702 4893
2016 6952 5077
2017 5997 4278