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पाक में उठी शहीद भगत सिंह को 'निशान-ए-पाकिस्तान' सम्मान की मांग, कहा- उनके जैसा वीर कोई पैदा नहीं हुआ

पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह को निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान से नवाजने की मांग उठी है। राशिद कुरैशी ने भारत व पाक सरकारों को भगत सिंह को सर्वाेच्च नागरिक सम्मान देने की मांग की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 09:06 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 10:08 AM (IST)
पाक में उठी शहीद भगत सिंह को 'निशान-ए-पाकिस्तान' सम्मान की मांग, कहा- उनके जैसा वीर कोई पैदा नहीं हुआ
पाक में उठी शहीद भगत सिंह को 'निशान-ए-पाकिस्तान' सम्मान की मांग, कहा- उनके जैसा वीर कोई पैदा नहीं हुआ

जेएनएन, चंडीगढ़। भारतीयों के लिए बलिदान की मिसाल शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजे जाने की मांग की जा रही है। पाकिस्तान में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सरकारों को भगत सिंह को सर्वाेच्च नागरिक सम्मान देने की मांग की है। कुरैशी ने भगत सिंह के 113वें जन्मदिवस पर 28 सितंबर को उन्हें भारत में भारत रत्न और पाकिस्तान में निशान-ए-पाकिस्तान दिए जाने की मांग की है।

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पाकिस्तान से फोन पर जागरण के साथ बातचीत करते हुए कुरैशी ने कहा कि उन्होंने भगत सिंह को सर्वोच्च पाकिस्तानी पुरस्कार दिए जाने की मांग की है, क्योंकि कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने 4 और 12 सितंबर, 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेंबली में दिए भाषण में कहा था कि भगत सिंह जैसा वीर और साहसी व्यक्ति भारतीय उप-महाद्वीप में पहले पैदा नहीं हुआ।

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील कुरैशी सिर्फ भगत सिंह के लिए सम्मान की मांग ही नहीं उठा रहे बल्कि वे लाहौर हाई कोर्ट में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के केस को दोबारा सुने जाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कुरैशी का कहना है कि वह इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को न्याय दिलवाने के लिए इस मामले पर दोबारा सुनवाई करवाना चाहते हैं ताकि उन्हें निर्दोष साबित किया जा सके।

भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान भगत सिंह को 23 वर्ष की उम्र में दो साथी क्रांतिकारियों राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च, 1931 को लाहौर की एक जेल में फांसी दे दी गई थी। इन तीनों पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ साजिश रचने और एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स की हत्या के आरोप थे।

कुरैशी का कहना है कि इन तीनों के नाम उस मामले की एफआइआर में शामिल तक नहीं थे जिस मामले में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। वह पाकिस्तान में शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखे जाने की मांग भी कर रहे हैं। वह चाहते हैैं कि इस चौक पर भगत सिंह की प्रतिमा लगे, जिससे पाकिस्तानी युवा भगत सिंह के बलिदान से सीख लें। कुरैशी ने कहा कि अपने शहीदों को भुलाने वाले देश इतिहास की तारीख से ऐसे ही मिट जाते हैं जैसे शब्द कोष से गलत शब्द। वह भगत सिंह को सम्मान दिलवाने तक संघर्ष जारी रखेंगे।


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