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डेफ एंड डंब बच्चे सीख रहे आत्मर्निभर बनने के गुर

हम बात कर रहे हैं वाटिका हाई स्कूल फॉर डेफ एंड डंब सेक्टर-19 में पढ़ने वाले बच्चों की। इस स्कूल में उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है जो बोल और सुन नहीं सकते। उसके साथ ही स्कूल में बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिए उन्हें विभिन्न वोकेशनल कोर्स द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 10:21 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:13 AM (IST)
डेफ एंड डंब बच्चे सीख रहे आत्मर्निभर बनने के गुर
डेफ एंड डंब बच्चे सीख रहे आत्मर्निभर बनने के गुर

वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : स्कूलों में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं लेकिन उन्हें स्कूल में वोकेशनल कोर्स द्वारा आत्मर्निभर बनाया जा रहा है। साधारण बच्चों के लिए इस चीज का ज्ञान हासिल करना आसान होता है, लेकिन डिसेबल बच्चों के लिए यह बहुत मुश्किल होता है। इसके बावजूद यह बच्चे आत्मर्निभर बनने के गुर सीख रहे हैं। हम बात कर रहे हैं वाटिका हाई स्कूल फॉर डेफ एंड डंब सेक्टर-19 में पढ़ने वाले बच्चों की। इस स्कूल में उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है जो बोल और सुन नहीं सकते। उसके साथ ही स्कूल में बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिए उन्हें विभिन्न वोकेशनल कोर्स द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। कटिग, टेलरिग और ब्यूटी पार्लर की बारीकियां लड़कियों के साथ-साथ लड़के भी सीख रहे है। पूर्व छात्रों ने खोला स्वंय का बिजनेस

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वोकेशनल कोर्स द्वारा स्कूल के कई पूर्व स्टूडेंट्स स्वंय का बिजनेस कर रहे हैं। स्कूल में हर वर्ष लगभग 150 से 200 स्टूडेंट्स वोकेशनल कोर्स से ट्रेनिंग लेते है। बड़ी संख्या में अभी तक स्कूल के पूर्व स्टूडेंट्स ने स्वंय की टेलरिग, ब्यूटी पार्लर और मेहंदी लगाने का काम खोला हुआ है। सब्जेक्ट के तौर पर बच्चों के लिए रखे गए हैं कोर्स

स्कूल प्रिसिपल नीलम दत्ता ने बताया कि स्कूल पंजाब बोर्ड से मान्यता प्राप्त है इसलिए पंजाबी सब्जेक्ट तो अनिवार्य है। उसके अलावा हमने स्कूल में वोकेशनल कोर्स को सब्जेक्ट के रूप में लागू किया हुआ है। इससे बच्चों को परेशानी नहीं होती है और वह स्टडी और इसमें आराम से तालमेल बैठा लेते हैं। वोकेशनल कोर्स को सब्जेक्ट के रूप में लागू करने का बच्चों को बहुत लाभ हो रहा है। छठी क्लास से हो जाते है वोकेशनल कोर्स शुरू

प्रिसिपल दत्ता ने बताया कि हम बच्चों को छठी क्लास से ही वोकेशनल कोर्स की ट्रेनिग देना शुरू कर देते हैं। छठी से दसवीं क्लास तक में हम बच्चों को टेलरिग और कटिग सीखाते हैं। उसके बाद हायर क्लास में बच्चों को दूसरे वोकेशनल कोर्स की ट्रेनिग दी जाती है। दो नए कोर्स जो हैं ग्रेडिग सब्जेक्ट

स्कूल में बच्चों के लिए दो ओर कोर्स शुरू किए हैं। हालांकि वह ग्रेडिग सब्जेक्ट के रूप में हैं, इससे बच्चों को लाभ मिलेगा। इन दोनों कोर्स में कंप्यूटर साइंस और एनवायर्नमेंट एजुकेशन शामिल है। कंप्यूटर साइंस में बच्चों को हर तरह की जानकारी दी जा रही है जो निशुल्क है। बच्चों के लिए वैसे यह मुश्किल है लेकिन उसके बावजूद बच्चे इसमें बहुत रूचि दिखा रहें हैं। हर वर्ष कैंडल मेकिग का होता है प्रोजेक्ट

प्रिसिपल दत्ता ने बताया कि स्कूल में हर वर्ष कैंडल मेकिग प्रोजेक्ट होता है जिसमें बच्चे स्वंय कैंडल बनाते हैं। वहीं इस वर्ष से बच्चों द्वारा कपड़ों के बैग भी बनाए जा रहे है जो शहर में काफी प्रसिद्ध हो रहे हैं।


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