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सेक्टर-53 में दो बार रेट घटाए, तब भी नहीं मिले खरीदार, आइटी पार्क की स्कीम पर उठ रहे सवाल

कलेक्टर रेट के हिसाब से फ्लैट की कीमत करोड़ों में होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 08:11 AM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 08:11 AM (IST)
सेक्टर-53 में दो बार रेट घटाए, तब भी नहीं मिले खरीदार, आइटी पार्क की स्कीम पर उठ रहे सवाल
सेक्टर-53 में दो बार रेट घटाए, तब भी नहीं मिले खरीदार, आइटी पार्क की स्कीम पर उठ रहे सवाल

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : सेक्टर-53 की जनरल हाउसिग स्कीम के लिए चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड को कोई खरीदार नहीं मिला। 492 फ्लैटो की इस स्कीम के लिए जब फ्लैट की संख्या जितने आवेदन भी नहीं आए तो कई बार रेट कम भी किए गए। बावजूद इसके सीएचबी मार्केट का हाल और लोगों की जरूरत नहीं समझ पाया। परिणाम यह है कि अब इस स्कीम को रद करने की तैयारी है। इससे कोई सबक न लेते हुए अब फिर उसी रास्ते पर चलते हुए आइटी पार्क में 728 फ्लैटों की जनरल हाउसिग स्कीम को मंजूरी दी गई है। इसमें भी सेक्टर-53 की तरह कलेक्टर रेट के हिसाब से ही फ्लैट की कीमत तय की जाएगी। यह अधिकारी बोर्ड मीटिग में ही स्पष्ट कर चुके हैं। अगर ऐसा हुआ तो इन फ्लैटों के रेट तो सेक्टर-53 की हाउसिग स्कीम से भी ज्यादा होंगे। सवाल यह उठता है कि आखिर किनके लिए यह स्कीम बोर्ड लांच कर रहा है। लोगों को इससे काफी कम कीमत में ट्राईसिटी में फ्लैट उपलब्ध हैं तो वह सीएचबी से फ्लैट क्यों खरीदेंगे। कलेक्टर रेट के हिसाब से इतने में मिलेगा फ्लैट

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कलेक्टर रेट से वेल्यू कैलकुलेशन के बाद फ्लैट के रेट तय हुए तो आइटी पार्क में थ्री बीएचके फ्लैट दो से सवा दो करोड़ रुपये में मिलेगा। वहीं, सेक्टर-53 में थ्री बीएचके की कीमत दो बार घटाने के बाद 1.50 करोड़ रुपये थी। इसी तरह से टू बीएचके का फ्लैट आइटी पार्क में डेढ़ करोड़ का हो सकता है। जबकि सेक्टर-53 में खरीदार नहीं मिलने पर इसकी कीमत कम कर 1.28 करोड़ कर दी गई थी। बावजूद इसके खरीदार नहीं मिले। आइटी पार्क में फोर बीएचके की कीमत ढाई से पौने तीन करोड़ के बीच हो सकती है। सेक्टर-53 में वन बीएचके की कीमत घटाकर 86 लाख और ईडब्ल्यूएस का रेट 50 लाख रखा था। ऐसे में आइटी पार्क की स्कीम कितनी सफल होगी यह समय ही बताएगा। लंबे समय से नहीं चढ़ी स्कीम सिरे

सीएचबी लंबे समय से कोई नई जनरल हाउसिग स्कीम सिरे नहीं चढ़ा सका। केवल पुनर्वास योजना के तहत ही फ्लैट बनाए गए हैं। बोर्ड का गठन मुख्यत लोगों को सस्ते और किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए हुआ था। लेकिन कोई स्कीम सिरे नहीं चढ़ने से अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है।


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