जज से बदसलूकी करने वाले चंडीगढ़ पुलिस इंस्पेक्टर अमनजोत पर लटकी गिरफ्तार की तलवार, अग्रिम जमानत पर फैसला आज
3 अगस्त 2022 से जिला अदालत में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह को पेश होना था। इसके अलावा अमनजोत के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत ट्रायल चलाने के भी आदेश है। आज उसकी अग्रिम जमानत पर सुनवाई होगी।
कुलदीप शुक्ला, चंडीगढ़। चंडीगढ़ जिला अदालत में पेशी के दौरान बिना वर्दी आने, जज के सामने चिल्लाने, अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करने व कोर्ट को अपमानित करने के आरोप में चंडीगढ़ पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। गिरफ्तारी से बचने के लिए इंस्पेक्टर अमनजोत ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई है, जिस पर आज फैसला होगोा।
इस मामले में शिकायतकर्ता ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट भरत की तरफ से सरकारी वकील और अमनजोत सिंह के वकील मतविंदर सिंह की बहस होगी। इसके बाद अग्रिम जमानत याचिका पर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फैसला सुना सकते हैं।
इससे पहले गिरफ्तारी से बचने के लिए चंडीगढ़ पुलिस में आपरेशन सेल के इंचार्ज इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह ने बीते हफ्ते अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 9 अगस्त की तारिख तय की थी। फिर एक दिन बढ़ाकर कोर्ट ने 10 अगस्त को सुनवाई के लिए कहा था। इंस्पेक्टर अमनजोत के खिलाफ चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने 21 जुलाई को जिला अदालत में आइपीसी की धारा 186, 188, 228, 353 और 166ए के तहत ट्रायल चलाने के आदेश दिए हैं।
इंस्पेक्टर ने पारिवारिक वजह बताकर मांगी थी पेशी से छूट
3 अगस्त 2022 से जिला अदालत में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह को पेश होना था। इसके अलावा अमनजोत के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत ट्रायल चलाने के भी आदेश है। तीन अगस्त को अमनजोत सिंह की तरफ से पेश वकील ने एक याचिका लगाकर पेशी में छूट मांगी। याचिका में वकील की तरफ से अमनजोत के कोर्ट में पेश नहीं होने की वजह पारिवारिक बताई थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। अब इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त को निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने कहा- अभद्र, अनादर पूर्ण, टकराव पूर्ण और विरोधी बना रहा
सीजेएम कोर्ट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इंस्पेक्टर अमनजोत कोर्ट में पेशी के दौरान अभद्र, अनादर पूर्ण, टकराव पूर्ण और विरोधी बना रहा। कोर्ट के प्रति इंस्पेक्टर रैंक के इस पब्लिक सर्वेट का कृत्य और आचरण न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि कोर्ट के कार्य में बाधा पहुंचाने वाला है। ऐसे में कोर्ट ने कहा कि इस अफसर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा जाए कि क्यों ना उसके खिलाफ कोर्ट की अवमानना और अन्य प्रविधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएं।