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बेअंत सिंह की हत्या के दोषी राजोआणा की फांसी उम्रकैद में तब्दील, औचारिकताएं पूरी करने के आदेश

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इसकी औपचारिकताएं पूरी करने को कहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 10:29 AM (IST)
बेअंत सिंह की हत्या के दोषी राजोआणा की फांसी उम्रकैद में तब्दील, औचारिकताएं पूरी करने के आदेश
बेअंत सिंह की हत्या के दोषी राजोआणा की फांसी उम्रकैद में तब्दील, औचारिकताएं पूरी करने के आदेश

चंडीगढ़, जेएनएन। केंद्र सरकार ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने के फैसले की औपचारिकताएं पूरी करने के आदेश जारी किए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन को यह आदेश श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर जारी किए हैं।

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स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते व लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू ने इस पर कहा, 'प्रकाश पर्व है। कुछ नहीं कहूंगा।'  बता दें कि उन्होंने इस फैसले का पहले कड़ा विरोध किया था। राजोआणा को साल 2007 में पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई गई थी। 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी।

आतंकियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में 16 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी।नवंबर 2017 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राजोआणा की बहन ने बलवंत की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। राजोआणा अभी पटियाला जेल में बंद है।

चंडीगढ़ प्रशासन के गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार से चिट्ठी प्राप्त हुई है। हम उसकी पड़ताल कर रहे हैं। चंडीगढ़ का इस मामले में कोई सीधा वास्ता नहीं है, लेकिन घटना चंडीगढ़ की थी। इसलिए केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन को भी चिट्ठी लिखी है।

राजाओणा की सजा को माफ करने के लिए काफी समय से कई सिख संगठन अभियान चला रहे थे और सरकार से इसकी मांग कर रहे थे। इसके बाद कुछ समय पहले उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की बात सामने आई तो कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार कई कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आ गई।  रवनीत बिट्टू ने इसका खुलकर विरोध किया।

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दूसरी ओर, सिख संगठनों ने इसका समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को धन्‍यवाद दिया। इन संगठनों का कहना था कि इससे पंजाब में माहौल बेहतर होगा और एक नया वातावरण बनेगा। शिरोमणि अकाली दल ने भी इस निर्णय का स्‍वागत किया। इसके बाद अब केंद्र सरकार ने इस मामले में औपचारिकताएं पूरी करने का आदेश दिया है।

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