पराली जलाने से रोकने में नाकाम रहे बठिंडा, फाजिल्का के डीसी, पर्यावरण मंत्रालय ने कार्रवाई के दिये निर्देश
पराली जलाने की घटनाओं को लेकर पहली बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सख्ती बरती है। मंत्रालय ने 23 मई को पंजाब के बठिंडा और फाजिल्का यमुनानगर और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलों के तत्कालीन उपायुक्तों से जवाब तलब करने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो : पराली जलाने की घटनाओं को लेकर पहली बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सख्ती बरती है। मंत्रालय ने 23 मई को पंजाब के बठिंडा और फाजिल्का, हरियाणा के यमुनानगर और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलों के तत्कालीन उपायुक्तों से जवाब तलब करने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं।
दिल्ली-NCR में प्रदूषित हवा को लेकर बैठक
पंजाब में पराली को जलाने की घटनाएं 2021 में 71,304 थी, जो 2022 में घटकर 49,922 हो गईं, यानी इसमें 29.99 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। बठिंडा में 2022 में 4,592 और 2021 में 4,481 जगहों पर पराली जलाई गई थी। पर्यावरण मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी नरेश पाल गंगवार की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि पर्यावरण मंत्री ने 26 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित हवा को लेकर एक बैठक की थी।
2021 के मुकाबले कम हुई घटनाएं
इसमें 15 सितंबर, 2022 से लेकर 30 नवंबर, 2022 तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर चर्चा की गई थी। इसमें कहा गया था कि मंत्रालय ने पहले ही सभी डीसी से कहा था कि पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए निचले स्तर तक कार्रवाई की जाए। ज्यादातर जिलों में पराली जलाने की वर्ष 2021 के मुकाबले 31.5 प्रतिशत घटनाएं कम हुईं।
डीसी को दिये निर्देश
मगर पंजाब के ब¨ठडा और फाजिल्का में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं हैं। पत्र में कहा गया कि जिन जिलों में पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं, वहां के डीसी ने इसमें अहम भूमिका निभाई, लेकिन जिन जिलों में यह कम नहीं हुई, साफ है कि उनके डीसी ने अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई। इस कारण ये घटनाएं बढ़ गईं। पर्यावरण मंत्री ने एक बार फिर कहा है कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए डीसी ध्यान दें और राज्य सरकार इन डीसी की जवाबदेही तय करें।
हरियाणा के यमुनानगर भी ज्यादा जली पराली
हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने के लिहाज से हॉटस्पॉट फतेहाबाद, कैथल, जींद, सिरसा और कुरुक्षेत्र में जहां पिछले साल स्थिति में काफी सुधार हुआ, वहीं यमुनानगर प्रदेश का अकेला जिला था, जहां अधिक पराली जली। यमुनानगर में वर्ष 2021 में किसानों ने 147 स्थानों पर पराली जलाई थी, लेकिन वर्ष 2022 में यह ग्राफ 155 पर पहुंच गया।