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पंजाब में दलित राजनीति गरमाई, सरकार को घेरने में जुटी भाजपा व अकाली दल

पंजाब में दलित राजनीति गरमाने लगी है। दलितों के मुद्दे पर अकाली दल व भाजपा सक्रिय हैं। सरकार के अपने दलित विधायक भी सरकार की परेशानी बढ़ा सकते हैंं। पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले को लेकर अकाली दल 2 नवंबर को नाभा में प्रदर्शन करेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:02 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:02 PM (IST)
पंजाब में दलित राजनीति गरमाई, सरकार को घेरने में जुटी भाजपा व अकाली दल
पंजाब में भाजपा द्वारा निकाली गई दलित इंसाफ यात्रा। फाइल फोटो

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। किसान मुद्दा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। वहीं, दलित के मुद्दों को विपक्ष ने हवा देनी शुरू कर दी है। भाजपा जहां दलित इंसाफ यात्रा के माध्यम से सरकार के लिए परेशानी खड़ी करना चाहती है तो शिरोमणि अकाली दल पोस्ट मैट्रिक घोटाले को लेकर 2 नवंबर को नाभा में रैली करने जा रहा है। सरकार के लिए परेशानी यह है कि उनके अपने विधायक व मंत्री भी अपनी नाराजगी दिखा रहे है। वहीं, कांग्रेस पार्टी की चिंता यह है कि अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद भाजपा लगातार दलित राजनीति को धार देने की कोशिश कर रही है।

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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद कह चुके है कि भाजपा दलित इंसाफ यात्रा करके पंजाब में ध्रुवीकरण की राजनीति करना चाहता है। सरकार की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि गठबंधन में होने के कारण दलित मुद्दों पर पहले अकाली दल का सामना करना पड़ता था, जबकि गठबंधन टूटने के बाद दोनों तरफ से हमले होने शुरू हो गए हैंं।

पंजाब में हुए 63.91 करोड़ रुपये के पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले को लेकर अकाली दल ने पहले ही सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के विधानसभा क्षेत्र नाभा में 2 नवंबर को रैली करने की घोषणा कर दी है। इसके बाद पार्टी 9 नवंबर को दलित आबादी के गढ़ दोआबा के फगवाड़ा में रैली करेगी, जहां से कांग्रेस के पूर्व नौकरशाह बलविंदर सिंह धालीवाल विधायक है।

जब पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाला हुआ था तब बलविंदर सिंह धालीवाल विभाग के डायरेक्टर थे। अकाली दल ने अपना फोकस ही पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले पर रखा है, इसीलिए वह वहां पर जोर डाल रही है जहां पर घोटाले के तथाकथित आरोपित मंत्री व विधायक हैंं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही विधानसभा में साधू सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे चुके है, लेकिन विपक्ष उनकी क्लीन चिट को स्वीकार नहीं कर रहा है।

तीन साल से बंद पड़ी एससी विद्यार्थियों की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप योजना को भले ही पंजाब सरकार शुरू करने जा रही है, लेकिन इसमें आय की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने की मांग दलित समाज द्वारा की जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ कहते है, भारतीय जनता पार्टी जातिगत राजनीति को हवा देती है। यह उनका एजेंडा है। इसी क्रम में वह पंजाब का माहौल खराब करना चाहती है, जिसमें वह कामयाब नहीं हो पाएगी।

वहीं, सरकार की परेशानी यह है कि उनके अपने विधायक भी मांगों का पिटारा खोलकर मुख्यमंत्री की तरफ देख रहे है। पंजाब कैबिनेट में एक सीट खाली है। दलित विधायक इसे दलित कोटे से भरने की मांग उठा रहे हैंं। विधानसभा का विशेष सत्र खत्म होने के बाद कांग्रेस के दलित विधायकों व मंत्रियों ने एक बैठक कर पंजाब सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की कि दलित मुद्दों पर वह सारे एकजुट हैंं।

अकाली दल के दलित विधायक पवन टीनू कहते हैंं, कांग्रेस के विधायक अपनी-अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैंं। उनका व्यक्तिगत एजेंडा हो सकता है, लेकिन अकाली दल समाज के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रही है। लाखों दलित विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। 64 करोड़ रुपये का पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाला हुआ। जिसमें चीफ सेक्रेटरी ने खुद माना कि करोड़ रुपये का भुगतान नियमों के विपरीत किया गया। इसके बावजूद मंत्री को क्लीन चिट दी गई। मुख्यमंत्री भले ही साधू सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दें, लेकिन अकाली दल दलित विद्यार्थियों को इंसाफ दिलवाने के लिए लड़ती रहेगी।


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