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नवजोत सिद्धू के साथ अधूरी बैठक पर पंजाब के दलित कांग्रेस विधायक हुए नाराज, फिर होगी Meeting

Punjab Congress पंजाब के दलित कांग्रेस विधायकों की आज पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष नवजाेत सिंह सिद्धू के साथ बैठक हुई। यह बैठक महज 30 मिनट में समाप्‍त हो गई। इस कारण कई विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिला और वे नाराज हो गए। अब एक और बैठक होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 08:17 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 06:55 AM (IST)
नवजोत सिद्धू के साथ अधूरी बैठक पर पंजाब के दलित कांग्रेस विधायक हुए नाराज, फिर होगी Meeting
पंजाब के दलित कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक करते प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू । (स्रोत पंजाब कांग्रेस)

चंडीगढ़ , राज्‍य ब्‍यूरो। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के दलित विधायकों व चार जिलों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। विधायकों की बैठक महज 30 मिनट में ही खत्म हो गई। इससे कई विधायकों नाराज हो गए। उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं मिला। इसके कारण सिद्धू ने मंगलवार को पुन: दलित विधायकों की बैठक बुला ली है। वहीं, मोहाली, रोपड़, फतेहगढ़ साहिब और मलेरकोटला जिले की हुई बैठक में वर्करों का गुस्सा भी फूटा। वर्करों ने खुल कर कहा कि सरकार तो कांग्रेस की आ गई लेकिन उन्हें नजरंदाज कर दिया गया।

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बैठक में उठा पंजाब का पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले का मुद्दा

विधायकों की बैठक अपने तय समय से करीब डेढ़ घंटे देर से शुरू हुई। बैठक में अभी तीन वक्ता ही बोल पाए थे के कि कांग्रेस प्रधान ने जल्दी बैठक खत्म करने के लिए सभी को एक-एक मिनट में अपनी बात रखने के लिए कहा। इस पर विधायकों ने आपत्ति उठा दी। विधायकों ने कहा कि अगर एक मिनट ही मौका मिलना था तो बैठक करने की कोई वजह नहीं बनती थी। इस पर तय हुआ कि अब यह बैठक मंगलवार को पुन: होगी।

वहीं, बैठक में पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले से लेकर संविधान की 85वीं संशोधन का भी मुद्दा उठा। बैठक में कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी, विधायक डा. राजकुमार वेरका और कुलदीप वैद्य ने अपना पक्ष रखा। स्कालरशिप घोटाले का मुद्दा जोरशोर से उठाते हुए पंजाब में कांग्रेस की हो रही बदनामी को लेकर सवाल उठाए।

विधायकों ने कहा कि दाग धोने के लिए पार्टी को कड़े कदम उठाने चाहिए। विधायकों ने दलितों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार की ओर से की जा रह अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि 34 फीसदी आबादी के हिसाब से मंत्रिमंडल में छह मंत्री होने चाहिए लेकिन सिर्फ तीन मंत्री ही बनाए गए, जबकि सरकार का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। बैठक में यह भी कहा गया जिन जिलों में दलितों और पिछड़ों कीआबादी अधिक है वहां दलित अफसरों को डिप्टी कमिश्नर और एसएसपी नियुक्त किया जाए क्योंकि जनरल कैटगरी के अफसरों की प्राथमिका दलित नहीं बल्कि कुछ और होती है।

वहीं, जिलों की बैठक में कार्यकर्ताओं ने कहा कि साढ़े चार साल में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्करों के दम पर सरकार तो आ गई लेकिन बाद में उन्हें बनता मान-सम्मान नहीं दिया गया। वर्करों ने यह भी मुद्दा उठाया की साढ़े चार वर्षों में इस तरह की कोई भी बैठक नहीं हुई। वहीं, प्रदेश प्रधान ने वर्करों को भरोसा दिलाया कि उनका बनता मान सम्मान उन्हें दिलवाया जाएगा।


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