विद्युत तरंगों वाली महीन बौछार दिलाएगी स्मॉग से निजात, पहले पानी छिड़काव ही था विकल्प
इलेक्ट्रोस्टेटिक डस्ट मिटीगेशन डिवाइस नामक यह मशीन विद्युत तरंगों पर आधारित है जिसमें पानी का न्यूनतम इस्तेमाल होगा।
डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़। केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआइओ) ने स्मॉग से निपटने के लिए स्वदेशी मशीन तैयार की है। एक निजी कंपनी को इसकी तकनीकी हस्तांतरित की जा रही है, जो जल्द ही व्यावसायिक उत्पादन शुरू करेगी। इलेक्ट्रोस्टेटिक डस्ट मिटीगेशन डिवाइस नामक यह मशीन विद्युत तरंगों पर आधारित है, जिसमें पानी का न्यूनतम इस्तेमाल होगा।
स्मॉग से निपटने के लिए अभी तक सिर्फ पानी के छिड़काव को ही कारगर विकल्प माना जाता है, लेकिन सीएसआइओ द्वारा तैयार की गई इलेक्ट्रोस्टेटिक डस्ट मिटिगेशन डिवाइस में पानी को विद्युत तरंगों के वाहक के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें जहां पानी का बेहद कम इस्तेमाल होगा, वहीं अन्य विकल्पों की अपेक्षा स्मॉग का सफाया कहीं अधिक आसान होगा। इस मशीन से 50 मीटर तक के दायरे में स्मॉग का सफाया किया जा सकेगा, जबकि जरूरत के मुताबिक इससे अधिक क्षमता वाली मशीन भी विकसित की जा सकेगी। मशीन को ट्रैक्टर ट्रॉली या छोटे ट्रक में रखकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए स्मॉग को नियंत्रित किया जा सकता है।
चंडीगढ़ स्थित देश के प्रतिष्ठित रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट सीएसआइओ ने करीब एक साल की कड़ी मेहनत के बाद इस तकनीक को विकसित किया है। प्रोजेक्ट से जु़ड़े सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मनोज कुमार पटेल केअनुसार, इस खास डिवाइस से वातावरण में मौजूद प्रदूषक कणों को विद्युत तरंगों से ढेर किया जा सकेगा। विद्युत तरंगों से टकराकर यह कण नीचे आ गिरेंगे। इस युक्ति में पानी की बेहद महीन बौछार होगी, जो विद्युत तरंगों की संवाहक होगी। लिहाजा, पानी की खपत बेहद कम होगी। प्रति मशीन तैयार करने पर 50 से 60 हजार रुपये लागत आएगी। मशीन तैयार करने वाली टीम में संस्थान के वैज्ञानिक अनिल जांगड़ा, अनूप कुमार, अनिल कुमार, अंकित कांची, योगिता सिंह, सुकृति आचार्य, प्रदीप कुमार और अनु सैनी का भी विशेष योगदान रहा है।
यह तकनीक पहले से काफी बेहतर
सीएसआइओ द्वारा इस तकनीकी को हरियाणा के यमुनानगर स्थित कंपनी क्लाउड टेक प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया जा सकता है। कंपनी के निदेशक निशांत सैनी ने बताया कि सीएसआइओ से मिलने वाली तकनीक से स्मॉग को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा। पानी भी बहुत कम लगेगा। बता दें कि यह वही कंपनी है जिसने विगत में स्मॉग का सफाया करने वाली अपनी कुछ मशीनों का दिल्ली सरकार के सामने प्रस्तुतीकरण किया था, लेकिन पानी की अधिक खपत के तर्क पर बात नहीं बनी थी।
प्रदूषण की समस्या काफी बढ़ गई है। सीएसआइओ वैज्ञानिकों द्वारा तैयार यह डिवाइस इससे निपटने में काफी फायदेमंद साबित होगी। इस टेक्नोलॉजी को हरियाणा की एक निजी फर्म को ट्रांसफर करने के लिए एमओयू किया जाएगा, जो इसका व्यावसायिक उत्पादन करेगी।
-डॉ. सुरेंद्र सिंह सैनी, प्रमुख, बिजनेस इनोवेटिव एंड प्रोजेक्ट प्लानिंग, सीएसआइओ, चंडीगढ।