सीएसआइओ और एचएएल मिलकर करेंगे आगामी बड़े प्रोजेक्टों पर काम
आने वाले समय में विमानों से संबंधित कई प्रोजेक्ट होने वाले हैं शुरू।
जासं, चंडीगढ़ : देश की डिफेंस फोर्सेज को ओर मजबूत बनाने के लिए कई नए प्रोजेक्ट शुरू होने वाले हैं। इन प्रोजेक्टों के तहत लडाकू विमानों से लेकर हर प्रकार के विमान के पार्ट देश में ही बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इस कार्य के लिए लखनऊ स्थित केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत हिदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और सीएसआइआर-सीएसआइओ के बीच मंगलवार को समझौता हुआ। समझौते के तहत दोनों संस्थान मिलकर भविष्य में विमान की नई तकनीकों के हर प्लेटफार्म पर साथ मिलकर काम करेंगे। यह समझौता अपने आपमें मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि एचएएल भारतीय कंपनी है, जो एयरोस्पेस और रक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। यह कंपनी भारतीय रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आती है। विमानों के डिजाइन एंड डेवलपमेंट होंगे पार्ट
समझौते के तहत दोनों संस्थान आगामी कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने वाले हैं। इन सभी प्रोजेक्ट के तहत दोनों कंपनियां विभिन्न स्वदेशी और अंडर-लाइसेंस उत्पादन के सभी प्लेटफार्म पर विमानों की प्रकाश व्यवस्था, एक्ट्यूएटर और अन्य सिस्टम/सहायक उपकरण का डिजाइन और डेवलप का काम होगा। उसके अलावा विमानों के पार्ट्स भी दोनों संस्थानों की लैब में तैयार होंगे। पहले भी डिफेंस क्षेत्र में सीएसआइओ दे चुका है योगदान
सीएसआइओ इससे पहले भी रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और कई केंद्रीय योजनाओं में अपना योगदान दे चुका है। डीआरडीओ में सीएसआइओ के कई वैज्ञानिक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस एमओयू के साइन होने के बाद जल्द ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। पहले स्वदेशी विमान तेजस के पार्ट भी होंगे तैयार
एमओयू के तहत जिन फाइटर प्लेन और विमानों की सूची दी गई है, उसमें पहला स्वदेशी विमान तेजस भी शामिल है। इस समझौते के तहत अब तेजस के हर पार्ट एचएएल और सीएसआइओ लैब में तैयार होंगे। विमानों में यह होंगे खास
एलसीए एमके1ए (तेजस) फाइटर प्लेन, एएलएच (ध्रुव हेलीकॉप्टर), एलसीएच (लाइट काबेट हेलीकॉप्टर), एलयूएच (लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर), डोनयर (जुड़वां-टर्बोप्रॉप एसटीओएल उपयोगिता विमान), सुखोई-30, एचटीटी-40 (इंडियन ट्रेनिग एयरक्राफ्ट्स) के अलावा मिग-29 और एंटोनोव एएन-32 (टर्बोप्रॉप ट्विन-इंजन सैन्य परिवहन विमान) के लिए काम किया जाएगा।