क्राइम ब्रांच की टीम ने एक्साइज ऑफिस में की रेड, सात घंटे खंगाला रिकॉर्ड
करोड़ों रुपये के वैट घोटाले के मामले में चंडीगढ़ पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने मंगलवार सुबह करीब 10 बजे अचानक यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिस में दस्तक दी।
By Edited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:26 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 03:03 AM (IST)
विशाल पाठक, चंडीगढ़। करोड़ों रुपये के वैट घोटाले के मामले में चंडीगढ़ पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने मंगलवार सुबह करीब 10 बजे अचानक यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिस में दस्तक दी। क्राइम ब्रांच के चार से पांच अधिकारी जैसे ही यूटी पहुंचे, कार्यालय के कर्मचारियों से लेकर अफसरों में हलचल शुरू हो गई। क्राइम ब्रांच की टीम ने मौके पर मौजूद असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिसर आरके चौधरी को वैट घोटाले के मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड और फाइल्स सरेंडर करने के लिए कहा। इसके बाद क्राइम ब्रांच के अफसरों ने मौके पर ही पुराने रिकॉर्ड और बैक डेट में की गई फेक एंट्रीज की जांच शुरू की। क्राइम ब्रांच की टीम सुबह 10 से लेकर शाम 5 बजे तक यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट के कार्यालय में जांच करती रही। 7 घंटे तक क्राइम ब्रांच के अफसर वैट घोटाले से जुड़े सभी रिकॉर्ड खंगाले गए।
इस दौरान पुराने रिकॉर्ड, रजिस्टर, बैक डेट एंट्रीज के दस्तावेज जांच के बाद अपने कब्जे में ले लिए गए। 296 कंपनियों की 927 एंट्रीज की जांच हुई क्राइम ब्रांच के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो घोटाले में जिन 296 कंपनियों के नाम सामने आए हैं। इन सब कंपनियों और फर्म के नाम पर 927 एंट्रीज की गई हैं। क्राइम ब्रांच के अफसरों ने मंगलवार को रिकॉर्ड खंगालते हुए इन सभी 927 एंट्रीज की जांच की। ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन कंपनियों ने फेक एंट्रीज कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। अफसरों की मानें तो हो सकता है कि इन 296 कंपनियों में से कई कंपनियों के रिकॉर्ड सही पाए जाएं। इसके बाद इन एंट्रीज की वेरिफिकेशन की गई।
इंड स्विफ्ट कंपनी पर लगाई थी 66 करोड़ रुपये टैक्स एवं पेनल्टी
डिपार्टमेंट ने एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने अपनी असेस्मेंट रिपोर्ट में इंड स्विफ्ट कंपनी पर 66 करोड़ टैक्स एवं पेनल्टी निकाली थी। इस पर ट्रिब्यूनल और डिपार्टमेंट ने कंपनी के संचालकों को नोटिस जारी कर बकाया टैक्स और पेनल्टी जमा कराने के ऑर्डर जारी किए थे। ईटीओ के अफसरों की मानें तो इंड स्विफ्ट कंपनी ने लोअर कोर्ट में 26 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। लेकिन अब तक यह पैसा डिपार्टमेंट के अकाउंट में नहीं पहुंचा है। शक के आधार पर शुरू हुई थी जांच 17 जुलाई 2018 को वैट ट्रिब्यूनल की कोर्ट यूटी प्रशासन में लगी थी। इस ट्रिब्यूनल कोर्ट की अध्यक्षता पूर्व एडवाइजर परिमल राय कर रहे थे। उनकी कोर्ट में इंडो स्विफ्ट कंपनी का केस लगा हुआ था। उस केस में एक्साइज डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 5 करोड़ 90 लाख 54 हजार 342 रुपये बकाया वैट निकाला। पूर्व एडवाइजर ने जब केस का स्टेटस पूछा तो कंपनी के वकील ने कहा कि उनका मामला तो 31 मार्च 2015 को खत्म भी हो चुका है। एक्साइज डिपार्टमेंट ने उनसे 5 हजार रुपये का टैक्स लेकर चालान कर दिया था। इस पर पूर्व एडवाइजर को शक हुआ कि कैसे 5.90 करोड़ रुपये का टैक्स मात्र 5 हजार रुपये के चालान में पूरा हो गया। इसके बाद इन्क्वायरी की तो ये घोटाला सामने आया। जिसके बाद विजिलेंस ने केस दर्ज किया था।
इस केस की जांच अब यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट और यूटी पुलिस क्राइम ब्रांच मिलकर कर रहे हैं। हमने एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिस पहुंचकर वैट घोटाले से जुड़े रिकॉर्ड को चेक किया। रिकॉर्ड में कई जगह ऐसी एंट्रीज पाई गई थी, जिन पर संशय था। जांच के लिए कई एक्साइज ऑफिस से रिकॉर्ड भी कब्जे में लिया गया है। -सुखराज कटेवा, डीएसपी, क्राइम
इस दौरान पुराने रिकॉर्ड, रजिस्टर, बैक डेट एंट्रीज के दस्तावेज जांच के बाद अपने कब्जे में ले लिए गए। 296 कंपनियों की 927 एंट्रीज की जांच हुई क्राइम ब्रांच के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो घोटाले में जिन 296 कंपनियों के नाम सामने आए हैं। इन सब कंपनियों और फर्म के नाम पर 927 एंट्रीज की गई हैं। क्राइम ब्रांच के अफसरों ने मंगलवार को रिकॉर्ड खंगालते हुए इन सभी 927 एंट्रीज की जांच की। ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन कंपनियों ने फेक एंट्रीज कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। अफसरों की मानें तो हो सकता है कि इन 296 कंपनियों में से कई कंपनियों के रिकॉर्ड सही पाए जाएं। इसके बाद इन एंट्रीज की वेरिफिकेशन की गई।
इंड स्विफ्ट कंपनी पर लगाई थी 66 करोड़ रुपये टैक्स एवं पेनल्टी
डिपार्टमेंट ने एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने अपनी असेस्मेंट रिपोर्ट में इंड स्विफ्ट कंपनी पर 66 करोड़ टैक्स एवं पेनल्टी निकाली थी। इस पर ट्रिब्यूनल और डिपार्टमेंट ने कंपनी के संचालकों को नोटिस जारी कर बकाया टैक्स और पेनल्टी जमा कराने के ऑर्डर जारी किए थे। ईटीओ के अफसरों की मानें तो इंड स्विफ्ट कंपनी ने लोअर कोर्ट में 26 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। लेकिन अब तक यह पैसा डिपार्टमेंट के अकाउंट में नहीं पहुंचा है। शक के आधार पर शुरू हुई थी जांच 17 जुलाई 2018 को वैट ट्रिब्यूनल की कोर्ट यूटी प्रशासन में लगी थी। इस ट्रिब्यूनल कोर्ट की अध्यक्षता पूर्व एडवाइजर परिमल राय कर रहे थे। उनकी कोर्ट में इंडो स्विफ्ट कंपनी का केस लगा हुआ था। उस केस में एक्साइज डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 5 करोड़ 90 लाख 54 हजार 342 रुपये बकाया वैट निकाला। पूर्व एडवाइजर ने जब केस का स्टेटस पूछा तो कंपनी के वकील ने कहा कि उनका मामला तो 31 मार्च 2015 को खत्म भी हो चुका है। एक्साइज डिपार्टमेंट ने उनसे 5 हजार रुपये का टैक्स लेकर चालान कर दिया था। इस पर पूर्व एडवाइजर को शक हुआ कि कैसे 5.90 करोड़ रुपये का टैक्स मात्र 5 हजार रुपये के चालान में पूरा हो गया। इसके बाद इन्क्वायरी की तो ये घोटाला सामने आया। जिसके बाद विजिलेंस ने केस दर्ज किया था।
इस केस की जांच अब यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट और यूटी पुलिस क्राइम ब्रांच मिलकर कर रहे हैं। हमने एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिस पहुंचकर वैट घोटाले से जुड़े रिकॉर्ड को चेक किया। रिकॉर्ड में कई जगह ऐसी एंट्रीज पाई गई थी, जिन पर संशय था। जांच के लिए कई एक्साइज ऑफिस से रिकॉर्ड भी कब्जे में लिया गया है। -सुखराज कटेवा, डीएसपी, क्राइम
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