नकारात्मक नहीं सकारात्मक हूं : सुशांत सिंह
क्राइम बेस्ड सीरियल की छवि काफी नकारात्मक होती है। एक्टर सुशांत सिंह सावधान इंडिया के लिए कई वर्षो से कर रहे हैं एंक¨रग, चंडीगढ़ में शूट करने पहुंचे तो साझा किए अपने अनुभव।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : सावधान इंडिया से पहले ही सुशांत सिंह की छवि सावधान कर देती है। बड़ी मूंछे, दमदार आवाज और मजबूत कद काठी। पास आते ही कहते हैं कि यार ये मूंछे अब फिल्म के लिए ही काटता हूं, ये ऑरिजनल हैं, इससे मेरी छवि सीरियल के अनुसार ढल जाती है। बुधवार को जीरकपुर के होटल रमाडा प्लाजा में पहुंचे सुशांत सावधान इंडिया की शूटिंग बीच में छोड़कर बात करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि पंजाब में हूं, तो यहां कि कुछ घटनाओं पर आधारित केस की शूटिंग कर रहा हूं। सावधान इंडिया से सर्तकता बढ़ी
सुशांत बोले हां, पहले तो मुझे भी सब नकारात्मक लगा। मगर थोड़े दिनों बाद इससे बाहर आना सीख गया। कभी-कभी मैं भी नकारात्मक हो जाता हूं, मगर इसका मतलब ये नहीं कि ये विचार आपकी पूरी जिंदगी बन जाएगा। ये बस कुछ दिनों की बात होती है, आप अपना काम कर रहे होते हैं, थोड़े केस आपको इमोशनल कर देते हैं, मगर बाद में घर जाकर जब आप अपने परिवार और बच्चों को तो देखते हैं तो सब भूल जाते हैं, मेरे साथ भी ऐसे ही होता है।
आइएएस, इंजीनियर, पायलट सब बनना चाहता था.
सुशांत ने कहा कि उनका कभी इरादा एक्टर बनने का नहीं था। वो तो बस एक संयोग ही रहा। दरअसल बचपन से कुछ बड़ा बनने का सपना था। आइएएस ऑफिसर, इंजीनियर और कई प्रोफेशन। दिल्ली में इंजीनिय¨रग की पढ़ाई भी की, आइआइटी के एग्जाम भी दिए, मगर फेल हो गया। फिर जिंदगी में रंगमंच आया। इसके बाद तो राम गोपाल वर्मा जैसे निर्देशक थे ही जिन्होंने हाथ थामकर मुंबई की राह दिखा दी।
जो किया अच्छा किया, इससे ज्यादा क्या सोचना..
मुझे जो मिला वो बहुत अच्छा मिला, मैंने कोशिश की उसे और बेहतर बनाने की। करीबन 50 फिल्में अभी तक कर चुका हूं, कई किरदार निभाए। मगर हमेशा कोशिश यही रही कि किसी किरदार को रिपीट न करूं। हेट स्टोरी के बाद मुझे कितने ही नगेटिव किरदार मिले। मगर मैनें सबको इंकार कर दिया। इन दिनों भी मेरे पास कई किरदार आते हैं, मगर वो जो मैं निभा चुका हूं, इसलिए सबको मना कर देता हूं। एंक¨रग करते हुए ही खुशी मिल रही है। हां, कुछ अलग किरदार मिलते हैं तो करता हूं। जैसे बेबी में बिजनेस मैन का, जो पिटता है और लिपस्टिक अंडर माए बुर्का में एक आम पति का किरदार, मैं चाहता हूं कि आप मेरी कोई छवि न बनाएं, मुझे एक एक्टर ही समझें।
अफसोस है कि हम राजनीति से भागते हैं..
इन दिनों आम इंसान से जुड़ा कोई विषय ही नहीं है। सिर्फ धर्म तक बातें रह गई हैं। सच कहूं तो देश में लोग खुश हैं, वो धर्म पर नहीं लड़ते, मगर खबरें ऐसी आ जाती हैं कि जैसे देश में दंगे फैल गए हैं। राजनीति भी इसी तरफ घूम रही है। चाहे वो वर्तमान सरकार हो या विपक्ष, किसी का विकास से जुड़ा कोई एजेंडा ही नहीं। मुझे खुश अफसोस होता है कि मैंने वोट देना चार साल पहले ही शुरू किया है। दरअसल हम सो जाते हैं, हम वोट नहीं देते फिर कहते हैं देश में सरकार कैसी है। अफसोस है हम राजनीति से भागते हैं, शायद मैं भी राजनीति में आऊं, अभी नहीं मगर जल्द ही।